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हो सकता।
दूसरी बात भोजन को चबा-चबा कर करने से भोजन में जो शर्करा का अंश होता है, वह प्रचुर मात्रा में थूक में मिलने से मुँह में ही पाचन हो जाता है। और पेन्क्रियाज को उस शर्करा को पचाने के लिये ज्यादा इंसुलिन की आवश्यकता नहीं होती। अतः मधुमेह और पाचन संबंधी अन्य रोगियों के लिये धीरे-धीरे पूरा चबाकर भोजन.करना सर्वोत्तत औषधि का कार्य करता है।
प्रकृति के अनुकूल दिनचर्या आवश्यक - सूर्य प्रतिदिन प्रातः काल उदय होकर सायंकाल ही क्यों अस्त होता है। निद्रा का समय प्रायः रात्रि में ही क्यों उपयुक्त होता है? प्रातःकाल ही प्रायः अघि कांश व्यक्ति मल त्याग क्यों करते हैं? भ्रमण एवम् श्वसन सम्बन्धी व्यायामों अथवा प्राणायाम प्रातः ही विशेष लाभप्रद क्यों होता है? जैन धर्म में रात्रि भोजन का क्यों निषेध किया गया है? मौसम के अनुकूल खान पान और सहन में परिवर्तन क्यों आवश्यक है? हमारी दिनचर्या एवं रात्रिचर्या के पीछे क्या दृष्टिकोण है? प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में एक जैविक घड़ी होती है, भूख लगती है, निद्रा खुल जाती है क्या सारी बातों का कोई वैज्ञानिक सोच या आधार है अथवा मात्र हमारी सुविधा या अन्धानुकरण? कोई बीज कितना ही अच्छा क्यों न हो, अच्छी उपजाऊ.जमीन पर बोया जावे. उचित हवा, पानी धूप होने के बावजूद उचित समय पर न बोने से नहीं उगता। ठीक उसी प्रकार भोजन पानी, दवा, निद्रा आदिका बराबर ख्याल रखने के बावजूद उचित समय पर सेवन न करने से वे अपेक्षाकृत लाभदायक नहीं होते। अतः . हमें दिनचर्या का चयन इस प्रकार करना चाहिये कि शरीर के अंगों की क्षमताओं - का अधिकतम उपयोग हो। क्या शरीर में सभी अंग चौबीसों घण्टे
सक्रिय होते हैं? शरीर के सभी अंगों में प्राण ऊर्जा का प्रवाह वैसे तो चौबीसों घंटे होता ही है। परन्तु सभी समय अंगों में एकसा नहीं होता। प्रायः प्रत्येक अंग कुछ निश्चित समय के लिये प्रकृति से अधिकतम प्राण ऊर्जा मिलने से अधिक सक्रिय होते हैं तो. कभी प्रकृति से निम्नतम प्राण ऊर्जा मिलने से अधिक सक्रिय होते हैं तो, कभी प्रकृति से निम्नतम प्राण ऊर्जा मिलने से अपेक्षाकृत सबसे कम सक्रिय होते हैं। इसी कारण कोई भी रोगी चौबीसों घंटे एक जैसी स्थिति में नहीं रहता। अंगों में प्राण ऊर्जा के प्रवाह का संतुलन ही स्वास्थ्य का सूचक होता है। यदि कोई रोग किसी अंग की असक्रियता से होता है तो, जिस समय उस अंग को प्रकृति से सर्वाधिक प्राण ऊर्जा का प्रवाह होता है, तब रोगी को अपेक्षाकृत आंशिक राहत का अनुभव होता है, उसके