________________
अलग-अलग होती है। जब पानी के आवश्यक अनुपात में असंतुलन हो जाता है तो, शारीरिक क्रियाएँ प्रभावित होने लगती हैं, अतः हमें यह जानना और समझना आवश्यक है कि पानी का उपयोग हम कब और कैसे करें? पानी कितना, कैसा और · कब पीये? उसका तापमान कितना हो? स्वच्छ शुद्ध, हल्का.. छना हुआ शरीर के तापक्रम के अनुकूल पानी जन साधारण के लिए उपयोगी होता है। पानी को जितना. धीरे-धीरे चूंट-बूंट पीये उतना अधिक लाभप्रद होता है। इसी कारण हमारे यहाँ लोकोक्ति प्रसिद्ध है - "खाना पीओ और पानी खाओ' अर्थात् धीरे-धीरे पानी पीओ। . हमारे शरीर में जल का प्रमुख कार्य भोजन पचाने वाली विभिन्न प्रक्रियाओं में शामिल होना तथा शरीर की संरचना का निर्माण करना होता है। जल शरीर के . भीतर विद्यमान गंदगी को पसीने एवं मलमूत्र के माध्यम से बाहर निकालने, शरीर के तापक्रम को नियंत्रित करने तथा शारीरिक शुद्धि के लिए बहुत उपयोगी तथा लाभकारी होता है। शरीर में जल की कमी से कब्ज, थकान, ग्रीष्म ऋतु में लू आदि की अधिक संभावना रहती है। जल के कारण ही हमें, छ: प्रकार के रसों-मीठा, खट्टा, नमकीन, कड़वा, तीखा और कषैला आदि का अलग अलग स्वाद अनुभव होता है। भोजन के तुरन्त बाद पानी पीना हानिकारक
. भोजन के तुरन्त पहले पानी पीने से भूख शान्त हो जाती है। बिना भूखा भोजन का पाचन बराबर नहीं होता। खाना खाने के पश्चात् आमाशय में लीवर, पित्ताशय, पेन्क्रियाज आदि के श्राव और अम्ल मिलने से जठराग्नि प्रदीप्त होती है। अतः प्रायः जनसाधारण को पानी पीने की इच्छा होती है। परन्तु पानी पीने से पाचक रंस पतले हो जाते हैं, जिसके कारण आमाशय में भोजन का पूर्ण पाचन नहीं हो पाता । फलतः भोजन से जो ऊर्जा मिलनी चाहिए, प्रायः नहीं मिलती। आहार के रूप में ग्रहण किये गये जिन पौष्टिक तत्वों से रक्त वीर्य आदि अवयवों का निर्माण होना चाहिये नहीं हो पाता। अपाच्य भोजन, आमाशय और आंतों में ही पड़ा रहता है, जिससे मंदाग्नि, कर्बजयता, गैस आदि विभिन्न पाचन संबंधी रोगों की संभावना रहती है। दूसरी तरफ अपाच्य भोजन को मल द्वारा निष्काषित करने के लिये शरीर को व्यर्थ में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अतः भोजन के पश्चात् जितनी ज्यादा देर से पानी पीयेंगे उतना पाचन अच्छा होता है। भोजन के दो घंटे पश्चात जिंतनी आवश्यकता हो खूब पानी पीना चाहिए, जिससे शरीर में पानी की कमी न हो।
प्रारम्भ में जब तक अभ्यास न हो, ठोस भोजन के साथ तरल पदार्थों का भी उपयोग अवश्य करना चाहिये। भोजन के बीच में थोड़ा सा पानी पी सकते हैं, 'परन्तु वह पानी गुनगुना हो न कि बहुत ठण्डा पेय । खाने के पश्चात् भी आवश्यक हो तो जितना ज्यादा गरम पीने योग्य पानी थोड़ा पी सकते हैं। भोजन पाचन के पश्चात् पानी पीना पथ्य होता है। भोजन पाचन से पूर्व एक साथ ज्यादा पानी पीने
.. 32