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निदान में अंगों में प्रवाहित होने वाली ऊर्जा प्रवाह के क्रम की भूमिका
शरीर में स्थित मेरेडियनों में ऊर्जा के प्रवाह का एक निश्चित क्रम होता हैं। प्रत्येक मेरेडियन में प्रवाह किसी अन्य मेरेडियन से आता हैं और किसी दूसरी मेरेडियन में आगे जाता हैं। अतः रोग की अवस्था में संबंधित अंग में विशेष ध्यान देना चाहिये ताकि निदान सही हो सके। जैसे फेंफड़ें मेरेडियन में ऊर्जा का प्रवाह तिल्ली मेरेडियन से आता है और आगे बड़ी आतं मेरेडियन में जाता हैं । अतः दमा अथवा फेंफड़ों से संबंधित अन्य रोगों में तीनों मेरेडियनों में ऊर्जा प्रवाह नियमित और संतुलित करने से प्रभावशाली स्थायी परिणाम आते हैं। एलर्जी अस्थमा का मुख्य कारण तिल्ली मेरेडियन में ऊर्जा के प्रवाह असंतुलन प्रायः होता है। अन्य प्रकार के पुराने दमा का कारण प्रायः बड़ी आंत मेरेडियन में ऊर्जा प्रवाह का असंतुलन हो सकता है।
हृदय मेरेडियन में ऊर्जा गुर्दे मेरेडियन से आती हैं और छोटी आंत मेरेडियन में जाती हैं। अतः तीनों एक दूसरे से संबंधित होते हैं। इसी प्रकार पेरीकार्डियन मेरेडियन में ऊर्जा लीवर मेरेडियन से आती है और ट्रीपल वार्मर मेरेडियन में जाती हैं। स्पलीन मेरेडियन पित्ताशय मेरेडियन से आती हैं और फेंफड़े .
जाती हैं। इसी कारण प्राणायम और पाचन तंत्र के संतुलन से मधुमेह जो स्पलीन से विशेष संबंधित होता है, नियन्त्रित किया जा सकता है। गुर्दे मेरेडियन में प्रवाह मूत्राशय से आता है. और हृदय में जाता हैं । लीवर मेरेडियन में प्रवाह आमाशय से आता है और पेरीकार्डियन मेरेडियन में जाता हैं । अतः पुराने रक्तचाप और हृदय रोग का कारण गुर्दे मेरेडियन में ऊर्जा के प्रवाह का असंतुलन भी हो सकता है। निदान को प्रभावशाली बनाने में सहयोगी - सामान्य जानकारी
'असाध्य एवं पुराने संक्रामक रोगों का उपचार करने से पूर्व उपर्युग्क्त चर्चित अन्य बातों के साथ साथ यदि निम्न बातों की भी जानकारी लेने से निदान अधिक सही एवं सरल हो जाता हैं।
1.
रोगी के रोग का पिछल इतिहास - जन्म से अथवा उसके बाद भूतकाल में घटित दुर्घटना अथवा विशेष रोग संबंधी जानकारी ।
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रोगी की मुख्य शिकायते ।
पैतृक रोग एवं अन्य परिजनों के रोग संबन्धी जानकारी । • व्यवसायिक वातावरण एवं कार्य संबंधी जानकारी ।
शौक अथवा दुर्व्यसनों के सेवन संबन्धी जानकारी । पारिवारिक स्थिति |
आवास व्यवस्था ।
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