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________________ — हो ऐसा अन्न दें। इस प्रकार दूषित वातादि दोषों द्वारा रूका हुआ कफ नेकल जाने पर आराम मिलता है और स्रोतसों के शुद्ध हो जाने पर वास-हिक्का में वायु बिना रूकावट भ्रमण करने लगता है। तमक श्वास में विशेष चिकित्सा सूत्र-- ___ध्मानोदावर्ततमके मातुलुगम्लवेतसैः। • हिगुपीलुबिडैर्युक्तमन्नं स्यादनुलोमनम् ।। ससैन्धवं फलाम्लं वा कोष्णं दद्याद्विरेचनम्। एते हि कफसरूद्धगतिप्राणप्रकोपजाः।। तस्मात्तन्मार्गशुद्धयर्थमूवधिः शोधनं हितम् । उदीर्यते भृशतरं मार्गरोधाद्वहज्जलम्।। यथाऽनिलस्तथा तस्य मार्गमस्माद्विशोधयेत्। अर्थ : आध्मान तथा उदावर्त से युक्त तमक श्वास में बिजौरा नींबू का रस, अम्लवेत; हींग, पीलु तथा विड नमक मिलाकर अन्न दे। वह अनुलोमन करने वाला होता है। अथवा सेन्धा नमक तथा खट्टा अनारदान के साथ निशोथ आदि विरेचन द्रव्यों को . गरम कर दे। ये श्वास हिक्का रोग कफ से गति के रूक जाने से प्राणवायु के प्रकोप से उत्पन्न होते हैं। अतः ऊर्ध्व तथा अधोमार्ग की शुद्धि के ऊर्ध्व तथा अधः शोधन (वमन-विरेचन) हितकर होता है। बहता हुआ जल मार्ग के अवरोध हो जाने से जैसे अधिक बढ़ जाता है, उसी प्रकार कफ द्वारा वायु का मार्ग अवरूद्ध होने पर वायु अधिक बढ़ जाता है। अतः वायु के मार्ग का ऊर्ध्वाधः (वमन-विरेचन के द्वारा) शोधन करें। विश्लेषण : हिक्का-श्वास रोग प्राण वायु तथा उदान वायु के प्रकोप से होता है। प्राणवायु का मार्ग श्वासनली, फुफ्फुस तथा वक्ष प्रदेश है। जब इन स्थानों में कफ की वृद्धि और वायुद्वारा उनका शोषण होता है तो शोषित कफ वायु के मार्ग को रोकता है। जिससे प्राण वायु अधिक प्रकुपित होकर श्वास या हिक्का को उत्पन्न । करता है। ऐसी अवस्था में वक्ष प्रदेश पर स्नेहन तथा नमक का मालिस कर वमन देते है। इससे कफ के निकल जाने के बाद वायु का प्रकोप शान्त हो जाता है। अथवा घी तथा नमक का मालिश कर गरम कपड़ा से सेक करने पर आराम मिलता है। यदि श्वास या हिक्का रोग में आध्मान हो तो अपानवाय की विकृति होती है। इसमें बिजौरा निबू के साथ बनाये हुए चूर्ण को भोजन में मिलाकर पहले देने से अपानवायु शान्त हो जाता है। यदि शान्त न हो तो मृदु विरेचन देना चाहिए। धूमानाह- श्वासरोग में विविध धूम . . 77
SR No.009377
Book TitleSwadeshi Chikitsa Part 02 Bimariyo ko Thik Karne ke Aayurvedik Nuskhe 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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