SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दिया जाय तो औषध अपक्व होकर पुनः ज्वर के वेग को बढ़ा देता है। विश्लेषण : सात दिन में सप्त धातुगत मल का पाचन हो जाता है। इस सिद्धान्त वाले सात दिन के बाद लघु अन्न खिलाकर आठवें दिन तथा पित्त का पाचन दश दिन में होता है। अतः हल्का अन्न खिलाकर ग्यारहवें दिन और कफ का पाचन ग्यारहवें दिन होता है किन्तु कफ में आमता अधिक होती हैं। अतः जब कभी उसका पाचन हो जाय तो हल्का अन्न खिलाकर ज्वरनाशक औषध देना चाहिए। . ज्वर में शीघ्र औषध देने की अवस्था मूदुलरो लघुर्देहश्वलिताश्व मला यदा।। .. अचिरज्वरितस्यापि भेषजं योजयेत्तदा। अर्थ : जब ज्वर मृदु हो जाय, देह हल्का हो जाय और मल चलायमान हो तो शीघ्र ज्वर लगने पर भी ज्वरनाशक औषध देना चाहिए। ज्वर पाचन कषायमुस्तयापर्पटं युक्तं शुण्ठया दुःस्पर्शयाऽपिवा।। वाक्यं शीतकशायं वा पाठोशीरं सबालकम्। . पिबेत्तेद्वच्च भूनिम्ब-गुडूचीमुस्तनागरम्।। यथायोगमिमे योज्याः कषाया दोषपाचनाः। ज्वरारोचकतृष्णाऽऽस्य-वैरस्याऽपक्तिनाशनाः ।। अर्थ : 1. नागमोथा व पित्त पापड़ा या 2. सोंठ तथा पित्त पापड़ा, 3. यवासा तथा पित्त पापड़ा, अथवा 4. पाठा, खस तथा सुगन्ध बाल या 5. चिरायता, • गुडुची, नागरमोथा तथा सोंठ इन सबों का विधि-पूर्वक शीत कषाय अथवा पकाया हुआ क्वाथ पान करावे इन पाँच कषायों को देश-काल तथा रूचि के अनुसार प्रयोग करे। ये कषाय दोषों को पचाने वाले तथा ज्वर, अरोचक, प्यास, मुख का फीकापन और अपचन को नाश करने वाले हैं। संततं आदि विशम ज्वरनाशक पाँच क्वाथकलिङ्काः पटोलस्य पत्रं कटुकरोहिणी।।। पटोलं सारिवा मुस्ता पाठा कटुकरोहिणी।। पटोल-निम्ब-त्रिफला-मुद्वीका-मुस्त-वत्सकाः।। ... किरातातिक्तममृतां चन्दनं विश्वभेषजम्। . धात्री-मुस्ताऽऽमृता-क्षौद्रमधश्लोकसमापनाः।। - पच्चैते सन्नातादीनां पच्चानां शमना मताः। .. 16
SR No.009377
Book TitleSwadeshi Chikitsa Part 02 Bimariyo ko Thik Karne ke Aayurvedik Nuskhe 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy