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________________ लूट न केवल अपने अहं का पोषण करते हैं, अपितु रोगी को प्रयोगशालाबना अपना स्वार्थ साधते हैं। अतः दुःख से बचने वालों को अन्य प्राणियों को दुःखी.बनाने में प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से सहयोगी नहीं बनना चाहिए। सेवा कर्म निर्जरा का सशक्त माध यम है औश्र हिंसा कर्म बन्धन का प्रमुख कारण। अत: सेवा के साथ साधन और सामग्री की पवित्रता आवश्यक होत है, उसके अभाव में की गई सेवा घाटे का सौदा • है। कर्ज चुकाने के लिए ऊचें ब्याज पर कर्ज लेने के समान है। अतः चिकित्सा जितनी ज्यादा अहिंसक होगी, उतनी ही आत्मा के विकारों को दूर कर पवित्र बनाने वाली होगी। .. .. जैसे-जैसे आत्मा कर्मों से मुक्त होती जाएगी, अशुभ कर्म क्षय होते जाएँगे और सभी स्तर के रोगों से मुक्ति मिलती जाएगी। यही स्थायी स्वास्थ्य प्राप्ति का सम्यक मार्ग होता है। . . 93
SR No.009375
Book TitleSwadeshi Chikitsa Aapka Swasthya Aapke Hath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChanchalmal Choradiya
PublisherSwaraj Prakashan Samuh
Publication Year2004
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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