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________________ मानव द्वारा अपने रोगों को दूर करने के लिए अनावश्यक हिंसा को प्रोत्साहन देना उसके स्वार्थीपन, अविवेक, अज्ञान तथा पाशविकता का प्रतीक है जिसका दुष्परिणाम उन्हें भविष्य में निश्चिम रूप से भुगतना पड़ेगा। जहाँ कोई विकल्प न हो और रोग सहनशक्ति के बाहर हो उसी अवस्था में लाचारीवश ही ऐसा उपचार लेकर प्रायश्चित लेना चाहिए। अतः हिंसा को प्रोत्साहन देने वाली चिकित्सा पद्धतियाँ पूर्ण रूप से प्रभावशाली कंदापि नहीं हो सकती? । अहिंसक • साधकों का उपचार के समय दायित्व - आश्चर्य तो इस बात का है कि अधिकांश अहिंसक साधक जो जीवन का मोह छोड़ साधना पथ के पथिक बन कठिन से कठिन परीषह सहन करने का संकल्प लेने वाले अज्ञान अथवा अविवेक के कारण साधारण से रोगों में विचलित हो जाते हैं। अपनी सहनशक्ति, धैर्य खो जीवन के मोह का परिचय देने लगते हैं। उपचार के नाम पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष हिंसा में सहयोगी बनते तनिक भी संकोच नहीं करते। मानव सेवा के नाम पर हिंसा पर आधारित चिकित्सालयों के निर्माण की प्रेरणा देते अथवा अनुमोदना करते संकोच नहीं करते? हम बूचड़खानों अथवा जीव हिंसा का तो विरोध करें परन्तु उनसे बने उत्पादकों का स्वयं उपयोग करें, दूसरों से करवाएँ तथा उपयोग में लेने वालों को प्रोत्साहन देकर अथवा प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष अनुमोदना का सहयोग देना कहाँ तक उचित है? जिस पर अहिंसा का पूर्णतया पालन करने वालों को तो विशेष चिन्तन करना चाहिए। अहिंसक विकल्पों को प्राथमिकता देने की मानसिकता बनानी चाहिए। अहिंसक जीवन चर्या के लिए विवेक एवं. सजगता आवश्यक ... हमारा जीवन परस्पर सहयोग से चलता है। हमें सहज ही अन्य प्राणियों के साथ जीवन जीने का योग (प्रसंग) मिला है। हम उनका जितना सहयोग करें, उतना हमारा बड़प्पन है। उनकी क्षमताओं के अनुसार उपयोग कर उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करें, तब तक तो ठीक है, परन्तु उनका दुरूपयोग अथवा उपभोग करना कदापि उचित नहीं। गाय से दूध प्राप्त करना उसका उपयोग है। उसके रहने, चारे, पानी की अच्छी व्यवस्था करना, बीमार होने पर उपचार करवाना उसके साथ सहयोग है, परन्तु माँस के लिए अथवा अर्थोपार्जन के लिए उसकी निर्मम — हत्या उसका उपभोग है, जो मानवता के लिए कलंक है। .. . . . भूखे को भोजन खिलाना मानवता का प्रतीक है परन्तु भूखा व्यक्ति भोजन .. में माँसाहार का आग्रह करे तो अहिंसा प्रेमी ऐसी सेवा कभी नहीं करेगा। ठीक उसी प्रकार मानव सेवा के नाम पर हिंसा पर आधारित दवाओं का वितरण, उपचार को . .... . .. 67. ..
SR No.009375
Book TitleSwadeshi Chikitsa Aapka Swasthya Aapke Hath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChanchalmal Choradiya
PublisherSwaraj Prakashan Samuh
Publication Year2004
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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