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________________ सही विश्लेषण । प्रत्येक चिकित्सक अपनी उपलब्धियों को तो बढ़ा चढ़ा कर प्रस्तुत करते हैं, प्रचारित करते हैं, परन्तु जहाँ जहाँ अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते अथवा दुष्प्रभाव पड़ते हैं, उनके कारणों का विश्लेषण तक नहीं करते हैं । स्वास्थ्यं विज्ञ की शोध के आधार में. एकरूपता होनी चाहिए। अर्थात् जिन रोगियों अथवा प्राणियों पर दवाओं अथवा उपचार के जो प्रयोग किए जाते हैं, उनका खान-पान, रहन-सहन, स्वभाव, मानसिकता, आचार-विचार, सोच, चिन्तन-मनन की प्रक्रिया, पारिवारिक समस्याएँ तथा शरीर में अप्रत्यक्ष एवं सहयोगी रोगों की एकरूपता भी आवश्यक होती है। क्योंकि ये ही कारण रोग से सम्बन्धित होते हैं, परन्तु ऐसी परिस्थितयाँ सभी रोगियों में एक सी होना कभी भी सम्भव नहीं होती। अतः प्रस्तुत परिणाम कैसे वैज्ञानिक और सत्य पर आधारित समझे जा सकते हैं? चिन्तन का प्रश्नहै । जीवन में चेतना का महत्व सारा शरीर मुख्यतया दो प्रकार की ऊर्जाओं से संचालित होता है। प्रथम भौतिक ऊर्जा तथा दूसरी चैतन्य ऊर्जा। किसी एक के पूर्ण अभाव में मानव जीवन चल ही नहीं सकता। भौतिक ऊर्जा शरीर के अंगों, उपांगों, अवयवों, तंत्रों आदि के निर्माण हेतु आवश्यक साधन उपलब्ध करने में सहायक होती है और चैतन्य ऊर्जा उन उपलब्ध साधनों से उनका निर्माण, संचालन और नियंत्रण करती है। चैतन्य ऊर्जा के अभाव में न तो शारीरिक अवयवों आदि का निर्माण ही सम्भव है और न ही जीवन । इसी कारण भौतिक विज्ञान के विकास के बावजूद चैतन्य ऊर्जा के अभाव में अभी तक शरीर के लिए आवश्यक कोशिकाओं, रक्त, अस्थियों, माँस पेशियों, नाड़ियों, वीर्य आदि अवयवों आँख, कान, नाक जैसी इन्द्रियों, हृदय, फेंफड़े, गुर्दे, लीवर जैसे अंगों का निर्माण प्रयोगशालाओं में सम्भव नहीं हो सका । चैतन्य ऊर्जा का विकास आत्मा की पवित्रता के अनुसार होता है। अतः उपचार करते समय जो चिकित्सा पद्धतियाँ भौतिक और चैतन्य ऊर्जाओं को ठीक रखने, सन्तुलित रखने के - सिद्धान्तों पर कार्य करती हैं, वे ही अपने आपको वैज्ञानिक बतलाने का वास्तव में दावा कर सकती हैं । ... भौतिक विज्ञान की सीमाएँ भौतिक विज्ञान का आधार वही पदार्थ होता है, जिसे कि दिखाया जा सके, जो मापा जा सके, जो प्रयोगों, परीक्षणों से प्रमाणित किया जा सके। ऐसे परिणाम जो तथ्य, तर्क एवं आँकड़ों से लिपिबद्ध किए जा सके। जिसका आधार निरीक्षण, विश्लेषण, निश्चित प्रक्रिया पर आधारित व्यवस्थित आँकड़ों द्वारा संकलित एवं • प्रमाणित हो। जिसका उपयोग, संचालन, नियंत्रण प्रायः व्यक्ति स्वयं अथवा अन्य कोई व्यक्ति द्वारा निश्चित विधि का पालन कर बिना किसी बाहय भेदभाव कहीं भी 42
SR No.009375
Book TitleSwadeshi Chikitsa Aapka Swasthya Aapke Hath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChanchalmal Choradiya
PublisherSwaraj Prakashan Samuh
Publication Year2004
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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