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________________ वस्तुतः स्वस्थ कौन. ? स्वस्थ का अर्थ होता है, स्व में स्थित हो जाना । अर्थात् स्वयं पर नियंत्रणं; .. अनुशासन अथवा पूर्ण स्वावलम्बन। अपने स्वभाव में रहना। अनुकूलता और . प्रतिकूलता दोनों परिस्थितियों में समभाव बनाएं रखना, सन्तुलित रहना, राग और द्वेष से परे हो जाना। ऐसी अवस्था में शरीर निरोग, मन निर्मल, विचार पवित्र और आत्मा शुद्ध हो जाती है। स्व का मतलब आत्मा है। अतः आध्यात्मिक दृष्टि में आत्म स्वभाव में रहने वाला ही स्व में स्थित अर्थात् स्वस्थ होता है। पेट नरम, पैर गरम. और सिर ठण्डा अच्छे स्वास्थ्य के सूचक सभी प्रकार के रोगों की अभिव्यक्ति शरीर में विभिन्न असंतुलनों के रूप में प्रकट होती है। एक महत्त्वपूर्ण लोकोक्ति प्रचलित है -- “पेट नरम, पैर गरम और सिर ठण्डा, फिर डाक्टर आवे तो मारो डण्डा" कितनी यथार्थपूर्ण है। जो शारीरिक श्रम करेगा उसकी पगतली कभी ठण्डी नहीं होती है। जिसका पाचन सही रहेगा और अवांछित तत्त्वों का शरीर से निष्कासन बराबर होगा, उसका पेट नरम, स्वच्छ होगा। इसलिए तो कहा गया है- “पेट साफ तो सब रोग माफ। इसी प्रकार जो तनाव-मुक्त होगा, चिन्ता-मुक्त होगा ओर मस्त रहेगा उसका सिर ठण्डा रहेगा। अर्थात् शारीरिक श्रम, सुव्यवस्थित पाचन एवं तनाव मुक्त अनासक्त जीवन शैली स्वास्थ्य का आधार होता है। जिस प्रकार खेत में बीज बोने से पूर्व उसकी सफाई .. आवश्यक है। फूटे हुऐ घड़े को भरने से पहले छिद्र को बन्द करना जरूरी है। तालाब . . को खाली करने से पहले उसमें आते हुए पानी को रोकना आवश्यक है, ठीक उसी प्रकार उपचार से पूर्व रोग के कारणों से बचना आवश्यक है। . स्वास्थ्य के लिए स्वयं का संयम और ... सम्यक पुरूषार्थ आवश्यक रोग होने के कारणों को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। प्रथम तो स्वयं से सम्बन्धित और दूसरा अन्य बाह्यय वातावरण अथवा परिस्थितियों से संबंधित। जो रोग स्वयं से सम्बन्धित होता है, उसका उपचार तो स्वयं के द्वारा ही सम्भव होता है। परावलम्बन बन्धन है, फिर वह चाहे डाक्टर का हो या दवा का। स्वयं के द्वारा स्वयं की चिकित्सा करने की विधि को ही स्वावलम्बी चिकित्सा कहते है। अतः व्यक्ति के स्वयं पर निर्भर करता है कि वह रोग-ग्रस्त जीवन जीना चाहता है या स्वस्थ जीवन । चाहने मात्र से तो स्वास्थ्य नहीं मिलता अपितु स्वस्थ जीवन जीने के लिए सजगता, नियमितता सम्यक् पुरूषार्थ आवश्यक है। . - 19 . .
SR No.009375
Book TitleSwadeshi Chikitsa Aapka Swasthya Aapke Hath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChanchalmal Choradiya
PublisherSwaraj Prakashan Samuh
Publication Year2004
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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