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सरल सामुद्रिक शास्त्र
का सूचक है । मुख क्षेत्र जातक की जैविक वासनात्मक एवं मानसिक इच्छाओं का सूचक है जिस जातक का ललाट और नाशिका क्षेत्र उन्नत तथा विस्तृत होता है, वह बुद्धिमान, ज्ञानवान, विचारशील, व्यावहारिक चतुर तथा साहसी तथा सफल होता है। जिस जातक का मुख क्षेत्र विस्तृत होता है, वह गम्भीर, चालाक, चतुर, धूर्त, विचारवान, कामी और स्थिति को पहचानने वाला होता है ऐसे जातक अधिक स्वार्थी होते हैं। ये आवश्यकता पड़ने पर असत्य एवं अन्याय का भी सहारा लेने से पीछे नहीं हटते। यदि किसी जातक के नासिका क्षेत्र की अपेक्षा मुख क्षेत्र अधिक विकसित होगा तो व्यक्ति कामुक वासनायुक्त, असभ्य, एवं हिंसक होगा। यदि नासिका क्षेत्र मुख क्षेत्र से अधिक विकसित हो तो जातक, जल्दबाज, स्पष्टवक्ता, मनमौजी संरक्षक एवं न्यायप्रिय होगा ।
मुखाकृति
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सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार भिन्न- 2 मुखाकृति के जातक का भिन्न- 2 स्वभाव और गुण पाया जाता है। मुख्यतः यह आकृति पांच प्रकार की मानी गयी है, 1. वर्गाकार मुखाकृति, 2. उल्टे घड़े के समान मुखाकृति 3. वृत्ताकार 4. सूर्पाकार, 5. अण्डाकार। यदि जातक की मुखाकृति का ठीक-ठीक अध्ययन किया जाय तो यह जाना जा सकता है कि जातक का स्वभाव एवं गुण कैसा है ।
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