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(भारतीय मानक समय) सूर्य बिम्ब का मध्य भाव अस्त के लिए 3 मिनट घटाएं अर्थात् 191 22m 08 (-)3m = (19h 19m 08) भारतीय ज्योतिष में सूर्य संक्रान्ति, अमावस्या तथा पूर्णिमा का विशेष महत्व है। सूर्य संक्रान्ति के आधार पर मास का फल देखा जाता है। अंग्रेजी तारीखों के आधार पर सूर्य संक्रान्ति (सूर्य का दूसरी राशि में प्रवेश) लगभग इस दिन होती
है।
मेष में सूर्य प्रवेश 13 या 14 अप्रैल वृष में सूर्य प्रवेश 14 या 15 मई मिथुन में सूर्य प्रवेश 15 जून कर्क में सूर्य प्रवेश 16 या 17 जुलाई सिंह में सूर्य प्रवेश 16 या 17 अगस्त कन्या में सूर्य प्रवेश 17 अक्तूवर तुला में सूर्य प्रवेश 17 सितम्बर वृश्चिक में सूर्य प्रवेश 15 या 16 नवम्बर धनु में सूर्य प्रवेश 16 दिसम्बर मकर में सूर्य प्रवेश 13 या 14 जनवरी कुम्भ में सूर्य प्रवेश 12 फरवरी मीन में सूर्य प्रवेश 14 मार्च अंग्रेजी मास 30 या 31 दिन के होते हैं तथा फरवरी 28 या 29 दिन की होती है इसलिये एक दिन आगे या पीछे हो सकता है। हमारे पंचांगों में सक्रांति का दिन और समय दिया होता है। उनके द्वारा हम निश्चित प्रकार से जान सकते है। जब सूर्य चन्द्रमा के ऊपर से गोचर करता है तो उसे प्रथम भाव मानते हैं। इस प्रकार मोटे-मोटे प्रकार से निम्न फल हो सकता है। सूर्य का प्रथम भाव में गोचर जातक को परिश्रम करवाता है, धन खर्च करवाता है, जातक क्रोधिक रहता है। यात्रा करवाता है। द्वितीय भाव में गोचर- धन नाश, सुख नाश, जिद्दी तथा लोगों के द्वार धोखा खाता है।
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