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योग कुल सत्ताईस हैं। अश्विनी नक्षत्र से जब चन्द्रमा और सूर्य दोनों मिलकर आठ सौ कलाएं चल चुकते हैं तो एक योग बीतता है। इस प्रकार 21,600 कलाएं अश्विनी से चल चुकने पर 27 योग बीतते हैं। चन्द्रमा और सूर्य की 360 अंशों (12 राशियों) की कलात्मक यात्रा को सत्ताईस भागों में विभाजित कर लिया गया है तथा उन भागों का नामकरण कर लिया गया है। 'योग' नक्षत्र की भांति कोई तारा समूह नहीं होता बल्कि निश्चित दूरी का एक विभाजित माप है।
योगों के नाम
1.विष्कम्भ,
2. प्रीति, 3. आयुष्मान, 4.सौभाग्य,
5.शोभन, 6. अतिगण्ड, 7. सुकर्मा,
8.धृति,
9.शूल, 10. गण्ड,
11.वृद्धि, 12.ध्रुव, 13.व्याघात,
14.हर्षण, 15.वज, 16.सिद्धि,
17.व्यतिपात, 18.वरीयान, 19.परिध,
20.शिव, 21.सिद्ध, 22. साध्य,
23.शुभ, 24. शुक्ल, 25.ब्रह्मा,
26.ऐन्द्र, 27.वैधृति। योगों के स्वामी यम, विष्णु, चन्द्रमा, ब्रह्मा, बृहस्पति, चन्द्रमा, इन्द्र, जल, सर्प, अग्नि, सूर्य, भूमि, वायु, भग, वरुण, गणेश, रुद्र, कुबेर, मित्र, कार्तिकेय, सावित्री, लक्ष्मी, पार्वती, अश्विनीकुमार, पितर और दिति क्रमशः योगों के स्वामी हैं।
करण
तिथि के आधे भाग को करण कहा जाता है, अर्थात् एक तिथि में दो करण होते
हैं।