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वृश्चिक विशाखा
अनुराधा
ज्येष्ठा
धनु
मकर
स्वाती
विशाखा
कुम्भ
मूल
पूर्वाषाढ़ा
उत्तराषाढ़ा
उत्तराषाढ़ा श्रवणा
धनिष्ठा
धनिष्ठा
शतभिषा
पूर्वभाद्र
मीन पूर्वभाद्र
उत्तरभाद्र
रेवती
15
16
16
17
18
19
2 2 2 2 2 2 2 2 2 2
20
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3
1
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4
4
1
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2
2
4
3
1
4
4
06°40'
20°00'
00°00'
3°20'
16°40'
00°00'
13°20'
26°40'
00°00'
10°00'
23°20'
00°00'
06°40'
20°00'
ooloo
03°20'
16°40'
योग
20°00'
30°00'
3°20'
16°40'
30°00'
13°20'
26°40'
30°00'
राहु
बृहस्पति
बृहस्पति
शनि
बुध
3°20'
16°40'
30°00'
केतु
शुक्र
सूर्य
10°00' सूर्य
23°20' चन्द्र
30°00' मंगल
06°40' मंगल
20°00'
30°00'
राहु
बृहस्पति
बृहस्पति
शनि
बुध
योग दो प्रकार के होते हैं - नैसर्गिक तथा तात्कालिक ।
नैसर्गिक योगों का एक ही क्रम रहता है परन्तु तात्कालिक योग तिथि वार एवं नक्षत्र के विशेष संगम से बनते हैं। पंचांग में योग नैसर्गिक योग होते हैं, उसे विषकम्म आदि योग कहते हैं।
चन्द्रमा और सूर्य दोनों मिलकर जब आठ सौ कलाएं चल चुकते हैं तो एक 'योग' बीतता है। दूसरी प्रकार इसे हम यों कह सकते हैं कि योग वास्तव में चन्द्रमा और सूर्य की यात्रा की सम्मिलित दूरी पार करने का एक नाप है। योग शब्द का अर्थ होता है जोड़। यहां भी यह शब्द चन्द्रमा और सूर्य की यात्रा की दूरी के जोड़ का द्योतक है।
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