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________________ 11-12. Determination of Ascendant and Twelve Houses पाठ - 11-12. लग्न साधन एवं द्वादश भाव स्पष्ट कुण्डली निर्माण में सबसे पहले लग्न साधन करना पड़ता है। जैसा कि हम बता चुके हैं कि किसी भी कुण्डली के निर्माण में तीन चीजों की जानकारी चाहिए। वे हैं, जन्मसमय, जन्मस्थान व जन्म तारीख। लग्न की परिभाषा- जन्म समय किसी निश्चित स्थान के पूर्वी क्षितिज पर राशि चक्र की जो राशि उदित हो रही होती है वह लग्न कहलाता है। लग्न साधन- लग्न साधन के लिए हमें सम्पात्कीय समय की आवश्यकता होती है। पृथ्वी अपनी धूरी पर एक चक्र पूरा करने में 24 घंटे लेती हैं। लेकिन यही पृथ्वी का चक्र जब किसी निश्चित तारे के सन्दर्भ में पूरा होता है तो 24 घंटे से 3 मिनट 56 सेकेण्ड कम लगते हैं। इस प्रकार जो समय बनता है उसे सम्पात्कीय समय कहते हैं। लग्न निकालने के लिए हम Tables of Ascendants नामक पुस्तक में दी हुई तालिकाओं की सहायता लेंगे। Tables of Ascendants की सहायता से पहले सम्पात्कीय समय निकला जाएगा। सम्पात्कीय समय निकालने के लिए पृ. सं. 2 पर दी हुई तालिका की सहायता लेंगे यह प्रतिदिन का सम्पात्कीय समय दोपहर के 12 बजे स्थानीय समयानुसार सन् 1900 का बताती है। पृ. न. 4 पर दी हुई तालिका-2 वर्ष अनुसार तालिका-1 मे जो संस्कार होगा वह बताती है। पृ. 5 पर दी हुई तालिका-3 सम्पात्कीय समय के स्थानीय संस्कार बताती है- तालिका 4 स्थानीय समय में सम्पात्कीय संस्कार बताती है। 49
SR No.009373
Book TitleSaral Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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