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________________ आन्तरिक ग्रह वे ग्रह हैं जो सूर्य एवं पृथ्वी के मध्य स्थित है। वे हैं बुध तथा शुक्र। बाह्य ग्रह वे गह हैं जो सूर्य तथा पृथ्वी दोनों से बाहर है। वे ग्रह हैं मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेप्चून तथा प्लूटो। यूरेनस, नेप्चून तथा प्लूटो को भारतीय मनीषियों ने जातक ग्रन्थों में कोई स्थान नहीं दिया। इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि भारतीय मनीषियों को इसके बारे में पता नहीं था भारतीय मनीषियों ने इनका वर्णन अरूण, वरुण तथा यम क्रमशः के नाम से किया है। परन्तु इनका अस्तित्व पृथ्वी से बहुत दूर होने के कारण तथा सूर्य की परिक्रमा इतने अधिक वर्षा में पूरा करते हैं कि जातक का जीवन ही पूरा हो जाता है जैसे प्लूटो सूर्य की परिक्रमा 248 वर्ष में पूरा करता है। नेप्चून सूर्य को परिक्रमा 164.8 वर्ष में पूरी करता है। इसलिए जातक के जीवन में इन ग्रहों का अधिक महत्व नहीं है। सप्ताह के दिनों के नामकरण की योजना भारतीय ज्योतिष में सात ग्रहों को स्थान दिया सूर्य, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र तथा शनि इन्हीं ग्रहों के नाम से सप्ताह के सात दिन रखे गये। और दिनों का नामकरण किया गया। भारतीय ज्योतिष वैज्ञानिक त्थयों पर आधारित होने के कारण नाम करण का क्रम भी मन चाहा नहीं अपितु गणित के नियमों पर आधारित है। + لها चित्र 9
SR No.009373
Book TitleSaral Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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