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सूर्य की क्रांति ल बिन्दु से दिन प्रतिदिन बढ़ती जाती है और घ बिन्दु (21 जून के लगभग) अधिकतम होती है। यहां सूर्य की क्रांति 28°-30' (30°) होती है। इस बिन्दु को ग्रीष्म संपात या दक्षिणायन संपात भी कहते है। इसके बाद सूर्य की क्रांति घटने लगती है। पुनः 23 सितम्बर के लगभग शून्य हो जाती है क्योंकि सूर्य पनुः विषुवत् वृत पर होता है। यहां से सूर्य की क्रांति दक्षिण दिशा में पनुः बढ़ने लगती है और बिन्दु ग पर (22 दिसम्बर के लगभग) अधिकतम हो जाती है। यहां से सूर्य उत्तरायण हो जाता है यहां से सूर्य की क्रांति पुनः घटने लगती है और 21 मार्च को बिन्दु ल पर शून्य हो जाती है। इस प्रकार सूर्य का एक वर्ष हो जाता है।
ग, ल, घ बिन्दु तक सूर्य का घूमना उत्तरायण तथा घ, र, ग वृत पर घूमना दक्षिणायन कहलाता है। इसी वृत पर भ्रमण के कारण ही ग्रीष्म ऋतु 21 मार्च से आरम्भ शरद् ऋतु 23 सितम्बर से आरम्भ होती है।
ऋतु परिवर्तन सूर्य के भ्रमण के कारण होता है। वास्तव में सूर्य स्थिर है और पृथ्वी भ्रमण कर रही है। परन्तु हम पृथ्वी पर खड़े हो कर जब सूर्य को देखते हैं तो सूर्य भ्रमण करता हुआ प्रतीत होता है।