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भौगोलिक अक्षांश
चित्र 2 में मध्याहन रेखा ग, र, घ पर व एक बिन्दु है यदि व को केन्द्र ल से मिलाया जाए तो व, ल, र एक कोण होगा। इस कोण को अक्षांश कहते है। तथा व का अक्षांश कहलाएगा। भू-मध्य रेखा पर अक्षांश 0° होगा। उत्तरी गोलार्ध (भू-मध्य रेखा से उत्तरी ध्रुव का भाग) में जो स्थान होगा उसको उत्तरी अक्षांश एवं जो स्थान दक्षिणी गोलार्ध में होगा उसे दक्षिणी अक्षांश कहा जाएगा। एक ही मध्याहन रेखा पर विभिन्न स्थानों का देशान्तर तो एक ही होगा परन्तु अक्षांश भिन्न होगा। इसी प्रकार एक ही अक्षांश पर स्थित देशान्तर भिन्न-भिन्न होंगे।
अक्षांश रेखा वास्तव में पृथ्वी की सतह पर वे काल्पनिक वृत है जो भू-मध्य रेखा (बृहत वृत) के समान्तर होते हैं 90° उत्तरी अक्षांश उत्तरी ध्रुव तथा 90° दक्षिणी अक्षांश दक्षिणी ध्रुव है। इसको (Latitude) भी कहते हैं। देशान्तर रेखा वास्तव में पृथ्वी की सतह पर वे काल्पनिक वृत है जो पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव में से होकर गुजरते हैं। एक देशान्तर रेखा दूसरे देशान्तर रेखा से 4 मिनट का अन्तर दर्शाता है। इसको (Longitude) भी कहते हैं।
अक्षांश तथा देशान्तर पृथ्वी पर स्थित किसी भी स्थान को दर्शाते हैं।
इसी प्रकार ब्रह्माण्ड में स्थित किसी ग्रह की स्थिति को भी नापा जाता है। खगोलीय ध्रुव- पृथ्वी के अक्ष को (उत्तरी ध्रुव को तथा दक्षिणी ध्रुव को) यदि अनंत तक ब्रह्माण्ड में बढ़ा दिया जाय तो ब्रह्माण्ड के जिस भाग उत्तरी ध्रुव मिलेगा। उसे खगोलीय उत्तरी ध्रुव तथा जिस बिन्दु पर दक्षिणी ध्रुव मिलेगा। उसे खगोलीय दक्षिणी ध्रुव कहेंगे।
खगोलीय विषुवत् वृत(Glistial equator)
खगोलीय विषुवत वृत ब्रह्माण्ड का वह वृहत वृत है जिसका तल खगोलीय ध्रुवों को मिलाने वाली रेखा को समकोण पर काटता है।