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दिशाएं
पूर्व - मेष, सिंह, धनु
दक्षिण- वृष, कन्या, मकर
पश्चिम- मिथुन, तुला, कुम्भ
उत्तर- कर्क, वृश्चिक, मीन
दिन बली और रात्रि बली राशियां
दिन बली सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन रात्रि बली मेष, वृष, मिथुन, कर्क, धनु, मकर
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द्विपाद, चतुष्पाद आदि राशियां
द्विपाद - मिथुन, कन्या, तुला, कुम्भ तथा धनु का पूर्वोत्तर भाग
चतुष्याद- मेष, वृष, सिंह, धनु का उत्तरोतर भाग तथा मकर का पूर्वोत्तर
भाग ।
जलीय-कर्क, मीन, मकर का उत्तरोत्तर भाग कीट वृश्चिक
(अपवाद कुछ विद्वान ज्योतिषी कुम्भ को भी जलीय राशि तथा कर्क को कीट राशि मानते हैं।)
द्विपद राशियां लग्न के मध्य भाग में बलवान होती है। चतुष्पद राशियां दशम भाव में, जलीय राशियां चतुर्थ भाव में तथा कीट राशियां सप्तम भाव में बली होती है।
द्विपद राशियां दिन बली, चतुष्पद राशियां रात्रि के समय बली तथा कीट राशियां सूर्य निकलने के समय या सूर्य अस्त होने के समय बली होती है।
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