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ग्रहों की मैत्री आदि तालिका (नैसर्गिक मैत्री)
सम ग्रह
शत्रु ग्रह
ग्रह सूर्य
मित्र ग्रह चं., म., बृ.
चन्द्रमा
शु., श., रा. रा., के. श., शु. च वृ.
मंगल
बु. श., शु., बृ., म. बु., रा., के. म. श. के. रा., श., के. बृ., म. के.
सू., चं., बृ. सू, शु. रा. सू, चं., म.
बुध
बृहस्पति
शुक्र
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बु., श., रा.,
सू.. चं.
शनि
बृ. के.
बु. शु. रा. बु., शु.. श.
सू. मं. च. सू., म., चं.
राहु
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बृ., के.
केतु
शु., श., बु.
बृ., रा.
सू., मं., चं.
तात्कालिक मैत्री
निसर्ग मैत्री के अलावा तात्कालिक मैत्री का भी विचार करना पड़ता है। दोनों मित्रामित्रता (नैसर्गिक और तात्कालिक) के आधार पर पंचधा मैत्रीचक्र बनता है। इसके द्वारा ही ग्रहों के पांच प्रकार- अधिमित्र, मित्र, सम, शत्रु या अधिशत्रु के सम्बन्ध बनते हैं। प्रत्येक ग्रह अपने से दूसरे, तीसरे, चौथे, दशवें, ग्यारहवें और बारहवें भाव में बैठे ग्रह का तात्कालिक मित्र होता है। प्रत्येक ग्रह अपने साथ वाले पांचवें, छठे, सातवें, आठवें और नवें भाव में बैठे ग्रह का तात्कालिक शत्रु होता है। नैसर्गिक और तात्कालिक मित्रामित्रता का समन्वय करके पंचधा मैत्री चक्र बनाया जाता है।