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शरीर के अंग- दांत, वात, कलाई, पेशियां, पीठ, पैर।
रोग- सारे, पुराने, लाइलाज रोग, दांत, सांस, क्षय, वातज, गुदा के रोग, व्रण, जख्म दर्द जोड़ों का यह शूद्र वर्ण, वायु तत्व, नपुंसक तथा पश्चिमी स्वामी है।
राहु
यह छाया ग्रह है परन्तु प्राणियों पर इसका पूरा प्रभाव रहता है। यह अशुभ ग्रह है। स्त्रियोचित है। भ्रष्ट संक्रामक रोगों का प्रतीक है। यह शनि की ही तरह अशुभ है। यह स्त्रीलिंग ग्रह है। यह विदेश यात्रा का प्रतीक है। यह भौतिक वादी ग्रह है। यह षडयन्त्र कारी है। त्वचा तथा रक्त रोगों पर इसका अधिपत्य है। गोमेद इसका रत्न है।
शरीर के अंग- होठ, त्वचा, रक्तरोग, कुष्ठ रोग, श्वेत रोग, चैचक हैजा संक्रामक रोग।
केतु
यह मंगल के समान ग्रह है। अचानक होने वाली घटनाओं का कारक है। इसका रंग धुएँ के समान चितकबरा रंग है। यह आंत्रिक जोड़ो, चेचक, हैजा तथा संक्रामक रोगों का प्रतिनिधि ग्रह है। यह अशुभ ग्रह है पर धार्मिक प्रकृति का ग्रह है। साम्प्रदायिक कट्टर पन्थी, घमंडी स्वार्थी तथा तंत्र विद्या का प्रतिनिधि ग्रह है। यह भी राहु की तरह दक्षिण पश्चिम दिशा का स्वामी है। लहसुनिया इसका रत्न है।