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गण गुण-बोधक चक्र
वर का गण देवता
मनुष्य
राक्षस
देवता
कन्या की नाड़ी
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मनुष्य राक्षस
उदाहरण में लिए गये कन्या चन्द्रकला का नक्षत्र रेवती और गण देवता है। जबकि वर जगदीशचन्द्र का नक्षत्र उत्तराषाढ़ा और गण मनुष्य है। चक्र में गुण-मिलान किया तो 5 गुण मिले। भकूट-ज्ञान भकूट का ज्ञान राशि गणना से किया जाता है। जन्म राशि ही विवाह कार्य में प्रशस्त मानी गई है, नाम राशि नहीं। जन्म राशि ज्ञात न होने से नाम राशि से मेलापक का विचार करना गलत है। आजकल प्रायः नाम राशि से मेलापक किया जाता है, लेकिन यह सही नहीं है। कन्या की राशि से वर की राशि तक गणना करनी चाहिए। और वर की राशि से कन्या की राशि तक गिनना चाहिए। यदि वर-कन्या दोनों की राशि गणना से छठी, आठवीं, दूसरी, बारहवीं, नवीं व पांचवीं राशि आये तो वैवाहिक सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। भकूट गुण बोधक चक्र उदाहरण में कन्या चन्द्रकला की राशि मीन तथा वर जगदीशचन्द्र की राशि मकर को भकूट गुण-बोधक चक्र में देखा तो 7 गुण मिले।
नाड़ी ज्ञान नक्षत्रों को तीन नाड़ियों (आदि, मध्य और अन्त्य) में विभक्त कर लिया गया है। अश्विनी, आर्द्रा, पुनर्वसु, उत्तरफाल्गुनी, हस्त, ज्येष्ठा, शतभिषा तथा पूर्वभाद्रपद नक्षत्रों की आदि नाड़ी है। भरणी, मृगशिरा, पुष्य, पूर्वफाल्गुनी, चित्रा, अनुराधा, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद व धनिष्ठा नक्षत्रों की नाड़ी मध्य है। कृत्तिका, राहिणी, आश्लेषा, मघा, स्वाति, विशाखा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण व रेवती नक्षत्रों की नाड़ी अन्त्य है।
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