________________
ग्रह मैत्री ज्ञान
पीछे ग्रह विचार नाम अध्याय में ग्रहों की मित्रामित्रता के बारे में लिखा जा चुका है। कृपया मैत्री ज्ञान वहीं से करें।
ग्रह मैत्री गुण-बोधक चक्र
वर का
वरका राशि स्वामी सूर्य चंद्र मंगल बुध गुरु शुक्र शनि
सूर्य
चन्द्र मंगल
5 5 5 4500 5 5 4 142 54 5 Y25 32
4 125254 ___5 4 5 5 2 3
0 3555 0224455
शुक्र शनि
पूर्वोक्त उदाहरण में कन्या चन्द्रकला की राशि मीन व स्वामी गुरु है तथा वर की राशि मकर का स्वामी शनि है। ऊपर दिये गये चक्र में देखा तो 3 गुण मिले।
गुण ज्ञान
तीन प्रकार के गण माने गए हैं। सभी नक्षत्रों को इन तीन गणों-देव, मनुष्य और राक्षस में बांट लिया गया है। देवता गण संज्ञक वाले नक्षत्र हैं- अनुराधा, पुनर्वसु, मृगशिरा, श्रवण, रेवती, स्वाति, हस्त, अश्विनी और पुष्य। मनुष्य गण संज्ञक नक्षत्र है- उत्तराफाल्गुनी, पूर्वफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरभाद्रपद, पूर्वभाद्रपद, भरणी, रोहिणी और आर्द्रा। राक्षस गण संज्ञक नक्षत्र हैं- आश्लेषा, मघा, धनिष्ठा, ज्येष्ठा, मूल, शतभिषा, कृत्तिका, चित्रा और विशाखा।
151