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________________ 31-32. Matching of Horoscope पाठ- 31-32. कुण्डली मिलान उपयोगिता भारतीय संस्कृति में विवाह शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति मात्र नहीं। यह एक सौदा नहीं है। यह एक समाजिक, सांस्कृतिक धार्मिक संस्कार है। विवाह समाज का आधार है। परिवार सुखी तो बच्चे, बुढ़े व अन्य सब सदस्य सुखी रहते हैं। हमारे मनिषियों ने इस तथ्य को पहचाना तथा परिवार को सुखी व समृद्ध रखने के लिये मेलापक जैसा तरीका ढूंढा। विवाह दो शरीरों का ही मिलन नहीं है अपितु दो परिवारों का सम्बन्ध बनता है। दो अलग अलग वातावरणों में उत्पन्न, पले तथा बढ़े युवक तथा युवतियों का मिलन है। अलग-अलग वातावरण में पले तथा बढ़े व्यक्तियों की इच्छाएं आकांक्षाएं, उम्मीदें तथा विचार शक्ति सोच भी अलग-अलग होती है। इसलिये दोनों में समन्वय करना, मिलाप करना आवश्यक हो जाता है। गृहस्थ जीवन को रथ के समान माना है। यदि दोनों पहिये एक धुरी पर समान गति से नहीं चले तो गृहस्थ जीवन में समृद्धि आना असंभव हो जाता है। जीवन नरक हो जाता है। इसलिए मेलापक आवश्यक हो जाता है। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या मेलापक सबके लिए आवश्यक है? क्या जो लोग मेलापक नहीं करवाते वे सुखी तथा समृद्ध नहीं होते? हमारे यहां सिख, मुसलमान, ईसाई इत्यादि लोग, कई वार आर्य समाजी परिवार भी मेलापक नहीं करते। क्या यह परिवार सुखी नहीं? ऐसी बात नहीं। सुख और समृद्धि तो वहां पर भी है। दवाई की तो उसको ज्यादा जरूरत होती है जो रोगी होता है अन्य व्यक्ति तो केवल प्रकृति के नियमों का पालन करता हुआ निरोग रह सकता है। मौसम के अनुसार खान-पान तथा वस्त्र धारण करने से भी व्यक्ति निरोग रह सकता है। परन्तु जो रोगी है उसके लिए तो औषध आवश्यक हो जाती है। जिनकी कुण्डली में कोई दोष उपस्थित है उनको मिलाना आवश्यक है ताकि गृहस्थ का रथ सुचारू रूप से व्यवस्थित रहे। यह नहीं होता कि कुण्डली मिलान से ग्रहों की स्थिति बदल जाती है, 143
SR No.009373
Book TitleSaral Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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