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कुछ विशेष नियम 1. जन्म कुण्डली में शनि 6,8,12, भाव में गोचर करते हुए यदि अशुभ ग्रह से दृष्ट या युक्त हो तो अशुभ फल प्राप्त होता है। 2. जन्म चन्द्रमा यदि 2 या 12 भाव में अशुभ ग्रह से युक्त या दृष्ट हो तो शनि की साढ़े साती अशुभ होती है। 3. जन्म चन्द्रमा निर्बल हो तथा अशुभ भाव में स्थित हो तो शनि की साढ़े साती अशुभ होती है। 4. यदि जन्म चन्द्रमा से 2 या 12वें भाव में शुभ ग्रह हो तथा शुभ दृष्ट हो तो शनि की साढ़े साती शुभ फल देती है। 5. जन्म चन्द्रमा शनि से युक्त हो, मंगल से दृष्ट न हो, तो साढ़े साती शुभ फल देती है अर्थात् जन्म कुण्डली में चन्द्रमा की स्थिति युत तथा दृष्टि साढ साती को प्रभावित करती है। आइये सर्वप्रथम भूतपूर्व प्रधान मन्त्रि श्रीमती इन्दिरा गाँधी की कुण्डली का अध्ययन करें। उनका जन्म 19.11.1917, सबेर 11.11 मिनट पर इलाहाबाद में हुआ।
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भोग्य दशा सूर्य 1.11.23 दिन इनकी पहली साढ़े साती 1.12 वर्ष आयु में पहली साढ़े साती आरम्भ हुई। उस समय शनि राहु तथा शुक्र के ऊपर से गोचर कर रहा था तथा लग्न से षष्ठ भाव था। शुक्र चतुर्थ तथा एकादश भाव का स्वामी है। एकादश भाव चतुर्थ से अष्टम भाव का स्वामी है जो माता के लिए अशुभ है। इसलिए पहली ही साढ़े साती के माता की मृत्यु हो गई। दूसरी
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