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अन्य ज्योतिष विद्वानों ने मत के अन्य कारक भी माने हैं जैसे- प्रथम भाव का कारक सूर्य के साथ चन्द्रमा भी है। द्वितीय भाव का कारक बुध वर्णा पटुता के कारण, तृतीय भाव का शनि-आयु कारक, चतुर्थ भाव का शुक्र-वाहन का कारक, षष्ठ भाव का बुध- मामा का कारक, दशम भाव का मंगल- पराक्रम, तकनीकी शिक्षा, प्रतियोगता का कारक तथा द्वादश भाव का शुक्र सम्भोग का कारक ग्रह भी माना है। ग्रहों के कारकत्व ग्रहों को भी नैसर्गिक कुछ काम सौंपे गये हैं। उनका भी विचार करना आवश्यक है।
सूर्य
आत्मा, अहम्, सहानुभूति प्रभाव, यश, स्वास्थ्य, दाएँ नेत्र, दिन, ऊर्जा, पिता, राजा, राजनीति, चिकित्सा विज्ञान गौरव, पराक्रम का कारण है।
चन्द्रमा मन, रुचि, सम्मान, निद्रा, प्रासन्नता, माता, सत्ता, धन, यात्रा, जल का कारक है।
मंगल शक्ति, साहस, पराक्रम, प्रतियोगता, क्रोध, उत्तेजना, षडयन्त्र, शत्रु, विपक्ष विवाद, शस्त्र, सेनाध्यक्ष, युद्ध दुर्घटना जलना, घाव, भूमि, अचल सम्पत्ति छोटा भाई, चाचा के लड़के, नेता, पुलिस सर्जन, मैकेनिकल इंजीनियर का कारक है।
बुध बुद्धिमता, वाणी पटुता तर्क अभिव्यक्ति, शिक्षा, शिखण, गणित डाकिया, ज्योतिषी, लेखाकार, व्यापार, कमीशन एजेंट, प्रकाशन राजनीति में मध्यवर्ती व्यक्ति (विचोला नृत्य, नाटक, वस्तुओं का मिश्रण पत्तेवाले पेड़, मूल्यवान पत्थरों की परीक्षा मामा, मित्र सम्बन्धि आदि। बृहस्पति विवेक, बुद्धिमता, शिक्षण, शरीर की मांसलता, धार्मिक कार्य ईश्वर के प्रति निष्ठा, बड़ा भाई, पवित्र स्थान, दार्शनिकता, धार्मिक ग्रन्थों का पठन, पाठन, गुरु, अध्यापक, धन बैंक, तीना कम्पनियां , दान देना, परोपकार फलदार वृक्ष, पुत्र आदि।