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________________ निर्दोष और सबल हृदय रेखा स्वस्थ्य हृदय की परिचायक है। करीब एक सौ हाथों में एकाध हथेली ही ऐसी होती है जिसमें हृदय रेखा का अभाव होता है। हथेली में इस रेखा की अनुपस्थिति व्यक्ति के अमानवीय प्रवृत्तियों को स्पष्ट करती है। यह रेखा व्यक्ति को दुर्गुण एवं गुण दोनों प्रदान करती है। प्राचीन हस्तरेखा ग्रन्थों के अनुसार हृदय रेखा तीन स्थानों से शुरु होती है। 1. शनि और गुरु पर्वत के मध्य से 2. गुरु पर्वत के केन्द्र से 3. शनि पर्वत के केन्द्र से। 1.अ. शनि गुरु के मध्य से- ऐसे व्यक्ति व्यवहार कुशल और स्नेही होते हैं। इनका प्रेम जीवन की प्राथमिकता पूर्ति के बाद शुरु होता है। 1.ब. गुरु पर्वत के केन्द्र से- यह हृदय रेखा मनुष्य के प्रणव सम्बन्धों और स्नेह को आदर्शवादी आधार प्रदान करती है। ऐसे व्यक्ति विषम परिस्थिति एवं आपत्ति काल में भी सम्बन्धों का निर्वाह करने में सफल होते 1.स. शनि पर्वत से- यह हृदय रेखा स्वार्थ भावना उत्पन्न करती है तथा ऐसे लोग वासना के प्रति यकीन रखते हैं। ऐसी भावना रखते हैं कि जिसमें अपना स्वार्थ झलकता हो और प्रेम वासना अधिक पायी जाती है, इसलिए प्रेम सम्बन्धों में स्वार्थी होते हैं। 2.अ. मस्तिष्क रेखा के निकट से आरम्भ होने वाली हृदय रेखा असाधारण रूप से दीर्घ हो तो ईर्ष्या की भावना उत्पन्न करती है तथा प्रेम सम्बन्धों में ये असफल होते हैं। 100
SR No.009372
Book TitleSaral Hastrekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year2001
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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