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बीसवीं सताब्दी में संसार में सबसे अधिक आयु वाला यूक्रेन प्रान्त है (काला सागर के उपर) भारत में मध्य प्रदेश और असम के व्यक्ति की आयु रेखा काफी लम्बी होती है इसी कारण वे दीर्घ जीवी होते हैं।
आयु रेखा जितनी स्पष्ट एवं गोलायी में होगी, वह व्यक्ति असाधारण रूप से महत्वाकांक्षी कार्य कुशल और यश को प्राप्त करने वाला होता है। वह व्यक्ति किस कार्य में सफलता प्राप्त करेगा यह निर्णय पर्वत की प्रधानता से किया जाता है।
जीवन रेखा शुक्र क्षेत्र को सीमित करेगी, तो व्यक्ति में सहानुभूति, वासना, यौन इच्छाओं की कमी पायी जाती है। जीवन रेखा की लम्बाई कम होने से व्यक्ति अल्पायु होता है अर्थात जीवन रेखा द्वारा जितनी अधिक सीमा बनेगी, उस व्यक्ति में उतना ही शुक्रीय गुण अधिक होगा। यदि जीवन रेखा कटी फटी या टूटी हुई हो तो मानसिक तौर पर अस्वस्थ बनाती है तथा सदा रुग्ण एवं चिड़चिड़ा स्वभाव युक्त रहता है। समान्यतः वही रेखायें प्रकट होती हैं, जिनका मानव शरीर पर प्रभाव होता है। व्यक्ति के जीवन में योग क्रिया या विशेष परिस्थिति द्वारा परिवर्तन होने पर रेखायें अपना नया मार्ग चुन लेती है। ऐसी स्थिति में यह भी प्रश्न उठ सकता है कि उस हालत में भविष्यवाणी किस प्रकार की जाय? इसके उत्तर में यह परिवर्तन दाहिने हाथ में ही होता है। घटनाओं का संकेत बायें हाथ एवं पर्वतों से मिल सकता है।
सम्पूर्ण जीवन का लेखा जोखा इस आयु रेखा से ही होता है, समय या काल उस रेखा या नक्से का अंग नहीं है। जीवन का घटना चक्र इतना विस्तृत है कि उसमें हमारी हजारों यात्रायें उसी अकेली रेखा के थोड़े से भाग में समायी हुई है।
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