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प्राप्त करने वाली, उनका सम्मान करने वाली, दीर्घजीवन, सौभाग्यशालिनी और पुत्र-पौत्र वाली भी होंगे। मत्स्य पुच्छ चिह्न वाला व्यक्ति धनवान और विद्वान होता है।
चक्र
चक्र का अर्थ वृत्त से है, जो अंगुलियों की त्वचा एवं रेखाओं पर पाया जाता है। यह वर्तुलाकार एक होने से चालाक दो होने से सुन्दर तीन से ऐशो आरामी चार से गरीब पांच वाला विद्वान, छः वाला विद्वान में चतुर, सातवाला योगी, आठवाला गरीब नौं चक्र वाला राजा या धनी और दसवाला एक सरकारी अधिकारी होता है। साथ ही ईश्वर प्रेमी और थोड़ी आयु वाला होता है। तर्जनी में चक्र होने पर व्यक्ति को मित्रों से लाभ होगा। मध्यमा में होने से इष्ट पूजा से धन लाभ होगा। अनामिका में हो तो समाज की सहायता से पैसा आएगा और कनिष्ठा में चक्र हो जाने पर तैयार माल द्वारा धनार्जन होगा। उपर्युक्त अंगुलियों में यदि शंख हो तो तत्संबन्धी नुकसान होगा।
शंख
यह चिह्न किसी महान् व्यक्ति के हाथ में ही होता है। तमाम चिह्नों में यह दुर्लभ होता है। तर्जनी में शंख होने पर मित्रों से धनहानि होती है । मध्यमा में हो तो उसे पुजारी नहीं बनना चाहिये । अनामिका में शंख होने पर धन का अचानक नाश व कनिष्ठा में भी यही फल होवे ।
त्रिभुज
भारतीय पद्धति मे त्रिभुज बृहस्पति पर्वत पर ही अच्छा होता हैं। उंचे दर्जे के राजनीतिज्ञों के धार्मिक पुरुषों के व योगी महापुरूषों के हाथों में यह पाया जाता है। ऐसा व्यक्ति मनुष्य मात्र का कल्याण चाहने वाला होता है। जिस व्यक्ति के हाथ में यह त्रिभुज होता है। वह अपने निकटवर्ती लोगों को अच्छी तरह से और चतुराई से किसी न किसी तरीके से काम में लगा सकते है।
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