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4. Study of Thumb
अध्याय-4
अंगूठे का अध्ययन
शरीर के प्रमुख अंगों में अंगूठा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में हाथ की परीक्षा में अनेक ठंग काम में लाये जाते हैं, लेकिन कोई भी तरीका हो उसमें अंगूठे की परीक्षा को प्रमुख स्थान दिया जाता है। मुख्यतः अंगूठा ही ईश्वर की इच्छा को व्यक्त करता है, तथा अंगूठे का सीधा सम्बन्ध मस्तिष्क से है। कभी-कभी कुछ चिकित्सक पक्षाघात के लिए अंगूठे का परीक्षण करके बता देते हैं कि अमुक समय तक पक्षाघात होगा। अंगूठे की त्वचा में जो लहरदार सूक्ष्म धारियां होती हैं, उनके द्वारा अपराधी को पकड़ा जाता है। जन्म लेने वाला शिशु जन्म से लेकर कुछ दिनों तक अपने अंगूठे को अगर मुंह में दबाये रखता है तो उसकी शरीर प्रभावित होती है और वह निर्बल होता है। अगर बुद्धिहीन लोगों का अध्ययन किया जाए, तो अंगूठा या तो अविकसित होगा या तो उसमें निर्बलता होगी। अंगूठा ही मनुष्य की चैतन्यता का केंन्द्र होता है यह प्रायः हथेली में समकोण पर स्थित होता है। अंगूठे को तीन भागों में विभाजित किया गया है। जो प्रेम (अनुराग) तर्क शाक्ति और इच्छा शक्ति का सूचक है। अंगूठे का पहला भाग इच्छा शक्ति, दूसरा भाग तर्कशक्ति, तीसरा भाग (शुक्र क्षेत्र) को प्रेम का सूचक कहा गया है। अंगूठे का अध्ययन करते समय यह देखना आवश्यक होगा कि पहले जोड़ पर लचीला है, कड़ा है या तना हुआ है। यदि तीसरा भाग लम्बा और अंगूठा छोटा हो दूसरा भाग अधिक लम्बा हो तो व्यक्ति शान्तिप्रिय होता है। लेकिन इसमें निर्णयशक्ति कम होती है। अंगूठे प्रायः सात प्रकार के पाये जाते हैं।
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