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________________ अंगुलियाँ बेडौल हों एवं छोटी हों तो ऐसे व्यक्ति प्रायः स्वार्थी एवं क्रूर कहे जाते हैं। अंगुलियाँ अगर तनी हुई हों, उनमें लोच न हो अन्दर की ओर मुड़ी हो या संकुचित हों, तो व्यक्ति कम बोलने वाला तथा कम मेल-जोल रखने वाला, कायर और अधिक सावधानी बरतने वाले होते हैं। अगर अंगुलियाँ धनुष के समान पीछे मुड़ने वाली हों तो व्यक्ति का स्वभाव आर्कषक और सौम्य होगा। उसमें मित्रता का गुण पाया जाता है। इन्हें सामान्य ज्ञान की जिज्ञासा होती है तथा समाज में हृदयस्पर्शी होते है। अंगुलियाँ टेढ़ी-मेढ़ी एवं बेडौल सी होंगी, तो व्यक्ति धोकेबाज गलत रास्ते का अनुयायी विकृत मस्तिष्क का स्वामी एवं निन्दक होता है। अच्छे हाथ पर इस प्रकार की अंगुलियाँ कम ही पायी जाती है। अंगुलियों के पोर पर अंदर की ओर मांश की गद्दी हो तो वह व्यक्ति अत्यन्त सवंदेनशील ओर व्यवहारकुशल होगा तथा हर क्षेत्र में सहयोग मिलता है। अंगुलियाँ अगर मूल स्थान पर मोटी हों तो व्यक्ति खाने-पीने का शौकीन और आरामतलबी होता है तथा वेहद शौकीन होता है। मूल स्थान पर पतली अंगुलियों का स्वामी स्वतः के स्वार्थ में लापरवाह होता है, खान-पान, रहन-सहन में सावधानी रखता है तथा मनपसंद वस्तुओं का प्रयोग करता अनामिका और तर्जनी की समान लम्बाई हो तो व्यक्ति में अपनी कला के द्वारा धन और यश कमाने की महत्वाकांक्षा होती है। वह चाहता है कि विश्व भर में विख्यात हो जाये। हथेली की लम्बाई से अधिक लम्बी अंगुलियां होगी, तो उसे लम्बी अंगुलियों की संज्ञा दी जाती है। अनामिका और कनिष्ठा की समान लम्बाई हो तो व्यक्ति बोलचाल और भाषण कला में कुशल होता है। अनामिका और मध्यमा की समान लम्बाई हो तो ऐसे व्यक्ति जुआड़ी होते हैं साथ ही जीवन के साथ खिलवाड़ कर
SR No.009372
Book TitleSaral Hastrekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year2001
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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