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________________ 3. Signs Situated on Phlanges of Fingers and Their Significance अध्याय - 3 अंगुलियों के पोर पर पाये जानेवाले रेखाचिह्न और उनका प्रभाव क- वज्राकृति - गुस्से की आदत, निराशा की प्रवृत्ति शारीरिक अवयव अस्त-व्यस्त, यदा-कदा प्रेरणा दायक प्रवृत्ति अपने सिद्धान्त पर जीने वाले भावुक और कलात्मक आदि लक्षण वज्राकृति के व्यक्ति में होते हैं। ख- कुण्डली आकार - नाड़ी केन्द्र में तकलीफ, हृदय सम्बन्धी परेशानी का सामना, पाचन क्रिया खराब, बौद्धिक स्तर अच्छा व्यक्ति और समाज में व्यवहारिक एवं स्नेही प्रतिक्रिया भावुक होती हैं। ग- मिश्रित- बदला लेने की भावना, आलोचनात्मक प्रतिशोध कार्यकुशल एवं व्यवहारिक प्रवृत्ति संग्रहात्मक, मानसिक उलझने, मोटापा, वायुविकार, बेचैनी आदि । घ- वर्तुलाकार - अंगुलियों के पोर पर वर्तुलाकार होने पर व्यक्ति स्वतंत्र मनोवृत्ति का होता है। अपनी शंकल्प शक्ति द्वारा इच्छानुसार लचीलेपन एवं गुप्त आत्म रक्षा में दक्ष होता है, ऐसे लोगों की पाचनक्रिया में खराबी होती है तथा हृदय से सम्बन्धी कुछ विमारियों का सामना करना पड़ता है। च-यव आकृति - आत्म रक्षा में हुसियारी गोपनीयता का गुण मनोवेग दमन करने की भावना, अविश्वासी, दूसरों पर संशय, पाचनक्रिया कमजोर पेट में फोड़ाफुंसी भ्रमण की आदत कभी - 2 दोषपूर्ण उदासी आदि यव आकृति के व्यक्ति में पाये जाते हैं। 49
SR No.009372
Book TitleSaral Hastrekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year2001
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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