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1. प्रस्तुत हाथ अपने आप में एक लम्बा हाथ है। हाथ पर दो मस्तिष्क रेखा एक अनूठा उदाहरण है। इस हाथ की चौथी अंगुली एक ऐसी अंगुली है जो अविकसित कही जा सकती है। यह व्यक्ति भाषण कला में अत्यंत संकोची था। भाग्य और सूर्य रेखा बहुत अच्छी है, परन्तु भाग्य रेखा को काटती हुई शनि की ओर जाती हुई रेखा किसी भी हाथ पर अच्छा लक्षण नहीं है। क्योंकि इसका परिणाम अच्छा नहीं होता ।
प्रस्तुत हाथ का जातक एक संगठित सेना का स्वामी था जिसमें अदभुत शक्ति थी। वह अपनी प्रतिभा का उपयोग मस्तिष्क रेखा द्वारा सहयोग प्राप्त करके खूब किया। इस व्यक्ति के कई विरोधी थे परन्तु मस्तिष्क रेखा अच्छी होने से हमेशा सफलता प्राप्त किया । यह व्यक्ति मस्तिष्क रेखा के प्रभाव से अन्य के राय को नकारके खुद की मनमानी करता था। पर कार्य की एकाग्रता का गुण होने से महत्वपूर्ण सफलता हासिल कर लेता था ।
सूर्य रेखा आगे चलकर भाग्य रेखा से जुड़ जाने के कारण उसका प्रभाव अधिक बढ़ गया। चंद्र रेखा स्पष्ट एवं मोटी होने के कारण आत्म ज्ञान खूब था। जीवन रेखा कुछ विचित्र है जो कि प्रायः बहुत कम हाथों में पाई जाती है। ऐसी जीवन रेखा के व्यक्ति मौत के मुंह से भी एक बार निकल आते हैं। सभी अंगुलियों पर छोटे-छोटे अधिक बिन्दु उत्पन्न होने से उसी समय उस व्यक्ति को असफलता का मुंह देखना पड़ा। यह निशान उत्पन्न होने पर व्यक्ति की मानसिक स्थिति प्रभावित कर देता है और निर्णय शक्ति क्षीण कर देता है।
मध्यमा और तर्जनी की लम्बाई समान होने से इसकी महत्वाकांक्षा कम नहीं हुई और जीवन में दिन प्रतिदिन सफलता प्राप्त करने में संयोग मिलता गया। इस हाथ में मंगल ग्रह भी उन्नत है जो कि वीरता का द्योतक है। हाथ भारी न होने के कारण अत्यधिक संघर्ष करना पड़ा। बुध की अंगुली टेढ़ी होने के कारण कुछ लोग इन्हें वाचाल भी कहा करते थे।
तुच्छ और हल्की चीजें इन्हें पसंद नहीं होती तथा ज्यादा बहस व तर्क वितर्क पसन्द नहीं करते। मानसिक दुर्बलता के कारण कई कार्य करने में असमर्थ होते हैं। व्यवसाय वाणिज्य में ज्यादा चालाक नहीं होते। ज्ञान,
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