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चारित्रिक गुण आदि विशेषतः बताने चाहिए। स्त्रियों को पति का सुख, पुत्र के भाग्योदय का वर्ष, उनके द्वारा होने वाले धर्म-कर्म, कथा, दान, पुण्य, सुख, दुख, पति प्रेम की विचारणीय बातों का वर्णन विशेष रुप से करना चाहिए। एक पामिस्ट सही मायने में लोगों को चेतावनी भी देता है, सुझाव भी देता है और घटनाओं से आगाह कराता है, ताकि भविष्य में होनेवाली घटनाओं से लाभ उठाया जा सकें और समय का सही उपयोग कर सकें, क्योंकि मानव को भविष्य इसलिए रोचक लगता है कि शेष जिंदगी भविष्य की गोद में बितानी है। जब हस्त रेखा देखकर भविष्य बताने की बारी आती है, तो अनेक बातों का ख्याल रखना होता हैं। जैसे- भोजन के तीन घंटे बाद जब हाथ ज्यादा ठंडा हो, न ज्यादा गरम तथा ज्यादा छोटे बालकों का हाथ न देखा जाये। इसके अतिरिक्त आयु, देश, वातावरण को ध्यान में रखते हुए हाथ देखा जाय । केवल एक रेखा देखकर किसी भी निर्णय पर नहीं पहुँचना चाहिए। समस्त रेखाओं, चिह्नों और पर्वतों का अध्ययन करें उनके आधार पर ही कुछ कहना उचित होगा। व्यायाम करने के बाद, मदिरा, मिठाई, लेने के बाद हाथ न देखा जाय, क्योंकि इस समय इंद्रियां उत्तेजनायुक्त होती हैं। इस कारण नाड़ियों एवं करतल का स्वाभाविक तत्व समाप्त हो जाता है। इसके अलावा रेखाओं का रंग भी बदल जाता है। हाथ देखने का समय सूर्योदय से 2 घंटे बाद का समय अधिक उचित होता है। अधिक गर्मी एवं अधिक शर्दी के समय भी हाथ देखना अनुचित होता है कारण कि हाथों का रंग प्रभावित होगा। अतः इन बातों का ख्याल रखना ही सफलता की सीढ़ी है।