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The Line of Mars
मंगल रेखा
हस्त रेखा शास्त्र में मंगल ग्रह सूक्ष्म एवं आतंकपूर्ण है, इसका महत्व भाग्य रेखा एवं सूर्य रेखा से कम नहीं हैं। जीवन रेखा टूटने या भंग होने पर व्यक्ति को मंगल रेखा ही खतरों से बचाती है। मंगल का स्थान हृदय और मस्तिष्क रेखा की सीमा रेखाओं से वेष्टित है। यहां कोमल मांसल गद्दी के समान उभरा हुआ होता है। यदि यह क्षेत्र पूर्णतः विकसित होता है तो व्यक्ति मेधावी, बौद्धिक, शक्ति सम्पन्न, निर्भीक एवं ज्योतिष आदि विषयों में रुचि वाला, तर्क, कानून, न्याय का पुजारी होता है। यदि मंगल के साथ अन्य समान्तर रेखाएं हों तो व्यक्ति सौभाग्यशाली होता है। यही रेखा शुक्र क्षेत्र की ओर झुकी होने पर व्यक्ति के अन्दर तामसिक प्रवृत्त उत्पन्न करती है। यह क्षेत्र अवनत, दोषी अविकसित होने पर व्यक्ति को विधर्मी, पापकर्मी, राजदण्डभोगी और मर्यादाहीन बनाता है। यही रेखा हृदय में स्फूर्ति शरीर में शक्ति और ओज का संचार करती है। तथा आन्तरिक क्षमता और जीवन प्रदान करती है। मंगल के साथ भी समान्तर रेखायें बलिष्ठ और लम्बी हों तो व्यक्ति को कामी और शराबी बना देती है और वह अपनी आदम शक्ति का दुरुपयोग करने लग जाता है। इस स्थिति में मंगल मंगलकारी नहीं रह जाता। अपनी क्रूरता और उग्रता के कारण मंगल-गुरु और शुक्र के सद्गुणों से भी प्रभावित नहीं होता।
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