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11.स.हृदय रेखा, बृहस्पति पर्वत के बजाए शनि-पर्वत के नीचे से उदित-कामुकता भरा प्रेम।
12.अ.हृदय रेखा कमजोर तथा निकृष्ट और हाथ के सिरे पर समाप्त होने वाली-सन्तान का न होना।
12.ब.हृदय रेखा में उदति तथा शनि क्षेत्र तक पहुंचने तथा यकायक हट जाने वाली गौण रेखा-अनुपयुक्त प्रेम। 12.स.भाग्य रेखा से हृदय रेखा की ओर जाने वाली छोटी रेखायें-प्रेम जिसका अन्त विवाह से भी न हो। 13.अ.जीवन रेखा के साथ चल रही और मंगल पर्वत को जा रही रेखा प्रेम सम्बन्ध में स्त्री अधिक स्थिर स्वभाव ।
13.ब.शुक्र पर्वत के बहुत अन्दर, मंगल को उठ रही रेखा-किसी व्यक्ति से उस स्त्री का सम्बन्ध होगा और वह उससे दूर होता चला जायेगा।
13.स.हृदय रेखा को जा रही सीधी रेखा जीवन रेखा को जिस स्थान पर काट रही हो वहाँ शाखापुंज का होना-सुखहीन विवाह, तलाक तक हो सकता है।
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