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5. हृदय रेखा क्षेत्र - हृदय क्षेत्र से शुरु होने वाली सूर्य रेखा के स्वामी कलाकारी, नाटक, कहानी, उपन्यास, काव्य, आदि कार्यों से लाभ कमाते हैं। यह रेखा उन्हें प्रौढ़ अवस्था में सफलता देती है। ऐसे व्यक्ति आरम्भ काल में सुखी एवं सम्पन्न नहीं होते । इस समय समाज में उन्हें निन्दा आदि का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में पिछला समय उनका अंधकारमय कहा जा सकता है। इस काल में उन्हें विफलता और अनेक अपयश
का सामना करना पड़ता है तथा मन प्रसन्न नहीं रहता उनके चेहरे पर प्रफुल्लता नहीं होती, उदासी उन्हें खूब प्रताड़ित करती है, जिससे वे ब्याकुलता अनुभव करते हैं।
किन्तु इनका जीवन बाद में सुखमय होता है, समाज में सम्मान एवं यश मिलता है तथा उनकी रचना, या कार्य इस समय सराहनीय हो जती है। कुछ लोग ऐसे भी पाये गये हैं, जिन्हे संघर्ष करते-करते मृत्यु हो गयी, बाद में उनके कार्यों का फल उनके पुत्रादि को प्राप्त होता है। उन्हें जीते जी न कीर्ति मिलती है और न ही विपुल धन राशि यदि ह्रदय रेखा से शुरु होने वाली सूर्य रेखा दोषी हो तो अपयश तथा दुःख प्राप्त होता है वे दर-बदर ठोकरें खाते हैं।
उनकी कला ही बला बन जाती और गति
को अवरुद्ध कर देती है, कुछ कलाकार ऐसी स्थिति में पागल भी होते पाये गये हैं उनकी मृत्यु भी भयानक और अशोभनीय होती है, जीवन का संघर्ष ही उनकी मृत्यु का कारण बन जाती है।
6. मणिबन्ध क्षेत्र - मणिबन्ध से शुरू होने वाली सूर्य रेखा बड़ी उत्तम और उन्नत मानी जाती है, यह रेखा सर्व साधारण के हाथों में
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