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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर कोरियाछो तामासा नाक काटबो, चूल काटबो, बेचिबो वालो कि यार हाटे न कांदो चूप कोरे थाको, भावेर कीले लो कोरे थाको माहादेवेर बोले कार दोहाई माहादेवेर दोहाई। विधि : एक कटोरी पानी से भरें, उस पर तीन बार मंत्र पढे, प्रत्येक बार फूंक मारे, फिर उस पानी से मुंह धोएं, नाभि के पास लगावे व स्तन धोवे, बच्चा दूध पीवे। __ (110) परदेश गमन लाभ मंत्र (1) परदेश गमन व्यापार लाभ मंत्र- ॐ नमो अरिहंताणं ॐ नमो भगवइ महाविज्जाए सत्तटाए मोर हुलु हुलु चुलु चुलु मयूर वाहिनीए स्वाहा। विधि-पौष कृ.१० (गुजराती मगसिर कृष्ण १०वीं) के दिन निराहार रहकर इस मंत्र का श्रद्धापूर्वक १००८ बार जप करें। परदेश गमन व्यापार तथा लेन देन के समय उक्त मन्त्र का ७ बार स्मरण करने से लक्ष्मी और अनाज का लाभ होता है। (2) भोजनादिक लाभ मंत्र- ॐ नमो भगवती वागेश्वरी अन्नपूर्णां ठः। विधि-इस मंत्र को नगर में प्रवेश करते समय २१ बार जपें तो भोजनादिक का लाभ होता है। (3) बिना याचना के भोजन मिले- ॐ रत्नत्रयाय मणिभद्राय महायक्ष सेना पतये ॐ कलि-कलि स्वाहा। विधि- दातौन करने योग्य किसी भी वृक्ष की कोमल टहनी के सात टुकड़े करके इस मंत्र से इक्कीस बार अभिमन्त्रित करके प्रात:काल दातौन करके फेंक दें तो बिना मांगे भोजन मिलता है। अर्थात् भोजन के लिए किसी से याचना नहीं करनी पड़ती है। (4) प्रवास में आराम का मंत्र- गच्छगौतम शीघ्रत्वं ग्रामेषु नगरेषु च।आसनं वसनं शय्यां ताम्बूलं यच्च कल्पयेत् ॥ विधि : प्रवास में जिस नगर में जाना हो, उसके समीप पहुंचने पर सात बार इस मंत्र को पढ़े, फिर नगर में प्रवेश करें तो अपने आप समीचीन सुख-सुविधा प्राप्त होगी। (6) परदेश लाभ मंत्र :- ॐ णमो अरहंताणं, ऊँ णमो भगवइए चन्दायईए सतट्ठाए गिरे मोर मोर हुलु हुलु चुलु चुलु मयूर वाहिनिए स्वाहा। विधि : पहले पार्श्वनाथ भगवान् की प्रतिमा के सामने यह मंत्र दस हजार बार जपें। फिर जिस समय गमन करें तब १०८ बार जपें तो नगर में पहुंचते ही रोजगार लाभ होय। धन मिले, लेकिन मंगलवार को नए व्यापार करने न जायें, अन्यथा दिवाला निकलता है। (111) खेती संबंधी समस्त मंत्र (1) खेत अपना होय ( आकर्षण मंत्र) : श्री रेखे भू स्वाहा। - 186
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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