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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
भरे। (6) घाव नाशक मंत्र- ॐ क्रों प्रौं ठः ठः स्वाहा । १०८ बार जाप करने से दुष्ट वर्ण
(घाव) का नाश होता है। (7) घाव भरने का मंत्र- ॐ सीता देलागउ घाउ फूकिउभलउ होई जाउ। विधि- तेल सात बार मन्त्रित करके घाव पर लगाने से और २१ बार मंत्र पढ़ने से घाव
भरने लगता है। (8) फोड़ा ठीक मंत्र- ॐ चंद्राहास खंङ्गेन छिन्द छिन्द भिन्द भिन्द हूँ फट् स्वाहा। विधि- मंत्र से फोड़ा मंत्रित करने से फोड़ा ठीक होता है। (9) कर्म जाणइ धर्म जाणई राका गुरूकउ पातु जाणइ सूर्य देवता जाणई रे विष। विधि- इस मंत्र से फोड़ा को मंत्रित करने से फोड़ा ठीक हो जाता है।
___(106) ज्वर नाशक मंत्र (1) ज्वरादि भाग जाते हैं- ॐ अव्वुप्ते मम सर्व भयं सर्व रोगं उपशामय-२ ह्रीं स्वाहा
अहँ स्वास्तिलंकातः महाराजाधिराज समस्त कौणाधिपतिः 'अमुक' शरीरथं अमुक ज्वरं समादिशतिय थारे रे दुष्ट अमुक ज्वरं त्वयापत्तिका दर्शना देव शीघ्रं भागतव्यं अथ नाग छसित दते सिर श्रंद्रहास सखङ्गने कर्तपष्यामि हूँ फट् मां भणिष्यसि
यन्नाख्यात्तं। विधि- इस मंत्र को कागज पर लिखकर रोगी के हाथ में कागज को बांधने से वेला ज्वरादि
भाग जाते हैं। (2) ॐ ह्रीं क्रों क्लीं ब्लूं जंभे -२ मोहे वषट्। विधि- इस मंत्र का हाथ से जाप करने पर सर्व प्रकार के ज्वर का नाश होता है। (3) ॐ ह्रीं श्री चंद्र वदनी माहेश्वरी चंडिका भूतप्रेत पिशाच विद्रापय- २ वज्र दंडेन
महेश्वर त्रिशूले नदी वरी खङ्गने चूरय-२ पात्र प्रवेशे-२ॐ छां छीं छू छ: फट्
स्वाहा। विधि- प्रथम १०८ बार इस मंत्र का जाप करें फिर डोरा को २१ बार मंत्रित करके बांध देने
से सर्वप्रकार के ज्वर का नाश होता है। (4) ज्वर से छुटकारा मंत्र- ॐ पंचात्माय स्वाहा विधि- इस मंत्र का २१ बार चोटी मंत्रित करके चोटी में गांठ लगावें तो ज्वर से छुटकारा
मिलता है। (5) ॐ तेजो हैं सोम सुधा हंस स्वाहा। अथवा 'ॐ अहँ ह्रीं क्ष्वीं स्वाहा।'
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