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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
(5) सर्व रोग निवारण मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं क्लौं - क्लौं अर्हं नमः ।
विधि - इस मंत्र की त्रिकाल १०८ बार जप करने से सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं । (6) सर्व रोग हरण मंत्र - ॐ ह्रीं सकलरोगहराय श्री सन्मति देवाय नमः ।
विधि- इस मंत्र की २१ दिन में सवा लाख जाप करें।
मुनि प्रार्थना सागर
(7) सर्व रोग नाशक मन्त्र - ॐ णमो भगवते पार्श्वनाथाय एहि - एहि ह्रीं ह्रीं भगवती दह- दह हन हन चूर्णय - चूर्णय भंज कंड-कंड मर्द - मर्द हम्र्व्यू- हम्र्व्यू हूँ फट् स्वाहा।
विधि - इस मंत्र की ४००० बार पुष्पों से जाप करना चाहिए ।
( 8 ) सर्व रोग निवारण मंत्र - ॐ ह्रीं ऐं क्लीं सर्व रोग निवारिणी श्री पद्मावती देव्यैः नमः ।
विधि - शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से नित्य तीनों संध्या जाप करें सर्वरोगों से मुक्ति मिलेगी। (9) रोग विनाशक मंत्र : ओं ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्हं अ सि आ उ सा भूर्भुवः स्वः चक्रेश्वरि देवि सर्वरोगं भिंद भिंद ऋद्धिं वृद्धिं कुरू कुरू स्वाहा ।
विधि : २१ दिन तक प्रतिदिन १०८ बार जपने से कठिन से कठिन रोगों का नाश होता है और ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त होती है।
(10) सर्व रोग निवारण मंत्र - ॐ णमो आमोसहिपत्ताणं, ॐ णमो खेल्लोसहिपत्ताणं, ॐ णमो जल्लोसहिपत्ताणं, ॐ णमो सव्वोसहिपत्ताणं स्वाहा ।
विधि - इस मंत्र की प्रतिदिन एक माला फेरने से सर्व प्रकार के रोगों की पीड़ा शान्त होती है ।
( 11 ) रोग कष्ट और शत्रु निवारक : णट्ठट्ठ मयट्ठाणे पणट्ठ कम्मट्ठ नट्ठ संसारे । परमटठ् णिट्ठि अटठे अट्ठगुणाधीसरं वंदे ।
विधि : राई, नमक, नीम के पत्ते, कड़वी तुम्बी के बीजों का तेल और गूगल इन पाँचों को एकत्रित कर उक्त मंत्र से मंत्रित करें । पश्चात् पिछले पहर में प्रतिदिन ३००
बार२१ दिन तक मंत्र बोलते हुए हवन करें, सभी प्रकार के कष्टों और शत्रुओं से छुटकारा मिलेगा।
(12) रोग निवारण मंत्र - ओं नमो पार्श्वनाथाय ह्रीं नमो धरणेन्द्रपद्मावती नमो नमः । विधि- इस मंत्र को प्रातः काल शुद्ध होकर सफेद वस्त्र पहिन कर पूर्व की ओर मुँह कर २१ दिन तक एक माला फेरें तो रोग का निवारण हो, विघ्न टलें ।
(95) शरीर पीड़ा व दृष्टिदोष निवारक
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