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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
सर्वप्रकार के वात रोग नष्ट होते हैं। (2) मक्खियों के उपद्रव शान्त मंत्र- (अ) ॐ वः ॐ सः ॐ ठः स्वाहा। विधि-इस मंत्र के प्रभाव से मक्खियों का उपद्रव नहीं होता है। (3) मक्खियाँ भागती है- काली पंखाली रूयालि फट् स्वाहा। विधि- इस मंत्र के प्रभाव से मक्खियाँ भाग जाती हैं।
(93) कौआ,तोता-मैना,श्वानबोली-ज्ञान मंत्र (1) कौआ-बोली-ज्ञान मंत्र- ॐ क्रां का का। विधि- मस्तक पर कौए की पूंछ रखकर चितासन पर बैठकर रात्री में ७००० जाप करें।
साधक कौए की बोली समझने लगेगा। (2) तोता-मैना-बोली-ज्ञान मंत्र- ॐ ह्रीं शुक शुक बोधय बोधय स्वाहा। विधि- इस मंत्र का रात्रि में १०००० जाप करने से साधक तोता-मैना की बोली समझने
लगेगा। (3) श्वान-बोली -ज्ञान मंत्र- ॐ स्फि स्फिं काली स्वाहा। विधि- नीम के वृक्ष के मूल के पास अर्ध रात्रि में बैठकर धूप, दीप, नैवेद्य से इष्ट देव का
पूजन कर, इसका जाप प्रारंभ करें। १०००० जाप होने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। साधक श्वान की बोली समझने लगता है। जाप एक आसन में करें। एक दिन में नहीं हो सक तो दूसरे दिन करें।
(94) सर्व रोग निवारण मंत्र (1) सर्व रोग जाय मंत्र - ॐ नमो जल्लो सहि पत्ताणं, सब्बे सहि पत्ताणं
स्वाहा। विधि - इस मंत्र को 108 बार जपे तो सर्व रोग जाय । (2) सर्वरोग शान्त मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं क्लौं क्लौं अहँ नमः। विधि-इस मंत्र को त्रिकाल १०८ बार जपने से सर्वरोग जायें। (3) ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं क्लौं क्लौं ब्लूं नमः । विधि-इस मंत्र के त्रिकाल जाप से सर्वरोग नष्ट होते हैं। (4) सर्व रोग निवारण मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहँ अ सि आ उ सा भूर्भुवः स्वः
चक्रेश्वरी देवी सर्व रोग भिन्द-भिन्द ऋद्धि-वृद्धि कुरु कुरु स्वाहा। विधि- इस मंत्र को त्रिकाल शुद्ध रीति से जाप करने से स्त्री रोग, सर्व रोग नाश होय और
सर्व सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
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