SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर विधि- सर्प, गोह, बिच्छू और छिपकली आदि का विष असर नहीं करता। मंत्र के झाड़ने से शांत होता है। (7) सर्प भगाने का मंत्र - ॐ गरूड जीमुत वाहन सर्प भये निवर्त्तय निवर्त्तय आस्कि को आज्ञा पर्यंत पदं । विधि-इस मंत्र को हाथ से ताली बजाता जावे और पढ़ता जावे तो सांप चला जाता है; किन्तु मंत्र तीन बार पढ़ना चाहिए । (8) ॐ कुरु कुल्ले कुल्ले मातंग सवराय सं खं वादय ह्रीं फट् स्वाहा । विधि ध- इस मंत्र से बालू को २१ बार मंत्रित करके घर में डाल देने से सर्व सर्प भाग जाते हैं। ( 9 ) घर पर सर्प नहीं आने का मंत्र - ॐ नकुलि नाकुलि मकुलि माकुलि अहाते स्वाहा। विधि - २१ बार बालू को मंत्रित करके घर में डाल देने से घर में सर्प नहीं रहते । (10) कीलित सर्प छोड़ने का मंत्र ॐ गंगयमण ऊँची पीपली चारे सर्प निकलिंवीर । विधि - भस्म को १०८ बार मंत्रित कर सर्प पर डालने से कीलित सर्प छूट जाता है। I ( 11 ) सर्प कीलित करने का मंत्र - ॐ आंणूं गंग जमण चीवेली लूं खीलूं होठ कंठ सरसा बालू खीलूं जीभ मुखं संभा लूं खीलूं होठ कंठ सरसा बालू खीलूं जीभ मुखं संभा लूं खीलूं मावायजिण तूं जाया खीलूं वाट घाट जिण तूं आया खीलूं धरती गमण आकाश भर हो विसहर जो मेंलूं सास। विधि - इस मंत्र से धूलि अथवा कंकर पर भस्म १०८ बार मंत्रित कर सांप के ऊपर डालने से कीलित हो जाता है। ( 12 ) सर्प विषहर मंत्र - ॐ नमो रत्नत्रयाय अमले विमले स्वाहा । विधि - इस को १०८ बार पढ़ते जायें और हाथ से झाड़ा देते जायें व पानी को १०८ बार मन्त्रित करके पिलाने से सर्प विष उतरता है । ( 13 ) सर्प - भय नाशः घोण - मंत्र - ॐ नमो भगवते श्री घोणे हर हर दर दर सर सर धर मथ मथ हरसा हरसा क्ष क्ष व व ह्मर्व्यू म्र्व्यू धर्व्यू र्व्यू व्र्व्यू सर्पस्थ गति स्तम्भं कुरु कुरु स्वाहा । विधि - इस मंत्र का तीनों समय स्मरण करने से सर्प का भय मिटता है। ( 14 ) मंत्र - हुं क्षं ठः ठः । विधि - इसके जाप से सर्प की गति बन्द होती है। (15) सर्प - रेखा स्तंभन - मंत्र - ॐ ह्रीं ह्रीं गरुड़ाज्ञा ठः ठः । विधि - यह मंत्र जप कर एक लकीर निकाल दें तो सर्प उस का उल्लंघन नहीं करेगा। 171
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy