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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
ज:जः ठः ठः ठः हूँ फट् (स्वाहा)।" विधि : गहन वन में जाते समय उक्त मंत्र से २१ बार कुछ कंकरों को मंत्रित कर सर्व ओर
फेंकने से भूत-पिशाच, चोर-डाकू, सिंह सर्पादि का भय नहीं रहता। (2) डाकिनी शाकिनी भूत पिशाच भाग जायें- ॐ णमो विरेही ज॑भय जूंभय मोहय
मोहय स्तम्भय स्तम्भय अवधारणं कुरु कुरु स्वाहा। विधि-ऋद्धि मंत्र से मंत्रित हल्दी की गांठ को मंत्रित कर चवाने से डाकिनी शाकिनी भूत
पिशाच चुडैल आदि भाग जाते हैं। (3) शाकिन्यादि दोष शांत- ॐ ह्रां ग्रां हूं फट् स्वाहा। विधि- १०८ बार पढ़ें और रोगी पर हाथ फेरें तो शाकिन्यादि दोष शांत होते हैं। (4) भूतादि उपशम होते हैं- ॐ ह्रां ह्रीं हूं सेयउ घोऽउ ब्राह्मणी कउ छोड़ उल कारे लागइ
जकारे जाइ भूत बांधि प्रेत बांधि राक्षस बांधि मेक्षस बांधि डाकिनि बांधि शाकिनि बांधि डाउ बांधि वपालउ बांधि लहुडउ गुरूडु वडउ गरुडु आसनि भेदु भेदु सुबांधि कसु बांधि सकसु बांधि सकसु बांधि जइनें मेरउ वुतउ करहि परिग्रह स चक्र भीडी
धरि मारि बापु प्रचंड वीर को शक्ति धरी मारि बापु पूत प्रचंड सीह। विधि- इस मंत्र को धूप से मंत्रित करके जलाने से और रोगी पर हाथ फेरने से भूतादि
उपशमादि शान्त होते हैं। (5) भूतादि रोगी को छोड़कर भगाने का मंत्र- ॐ क्रां क्रीं क्रौं क्षः हः र: फट् स्वाहा। विधि-मंत्र से सरसों लेकर पढ़ता जावे और रोगी के ऊपर सरसों डालता जावे तो भूतादि
रोगी को छोड़कर निश्चित ही भाग जाते हैं। (6) शाकिनियाँ भागें- (अ) ॐ हंस दक्ष म्ल्यूँ छौं ह्रौं यां हूँ फट्।
(ब) ॐ झौं-२ शाकिनीनां निग्रहं कुरु-कुरु हूँ फट्। विधि- योगिनी मुद्रा से जौ और असगंध के ऊपर निम्न लिखित मंत्र को पढ़कर उनसे
पुरुष को झाड़े तो शाकिनियाँ पुरुष को छोड़कर भाग जाती हैं। (7) व्यंतरों से मुक्ति का मंत्र- (अ) ॐ ह्रीं अ सि आ उ सा सर्व दुष्टान् स्तम्भय
स्तम्भय अंधय अंधय मोहय मोहय मूकय मूकय कुरु कुरु ह्रीं दुष्टान् ठः ठः ठः
स्वाहा। विधि- पूर्वाभिमुख होकर ८ या २१ दिन तक मुट्ठी बांधकर ११०० जाप से सब दुष्ट क्रूर
व्यंतरों से मुक्ति प्राप्त होती है। (8) व्यंतरों से मुक्ति का मंत्र- ॐ ह्रीं अ सि आ उ सा सर्व दुष्टान् स्तम्भय अंधय अंधय मूकय मूकय मोहय मोहय कुरु कुरु ह्रीं दुष्टान् ठः ठः ठः स्वाहा।
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