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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
( 17 ) श्री घंटाकर्ण द्रव्यप्राप्ति मंत्र- ओं ह्रीं श्रीं क्लीं क्रौं ॐ घंटाकर्ण महावीर लक्ष्मी पूर - पूरय सुख सौभाग्यं कुरु कुरु स्वाहा ।
विधि - धनतेरस को ४० माला, रूप चौदस को ४२ माला तथा दीपावली को ४३ माला का जाप करें तो उस वर्ष निश्चित ही लक्ष्मी प्राप्ति हो । उत्तर दिशा को मुंह करके सफेद वस्त्र, सफेद आसन, सफेद माला का उपयोग करें व व्यापार वृद्धि मंगल कलश की स्थापना करें। दीपक जलाएं।
(18) धन-धान्य बढ़ाने वाला मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रः कलिकुण्ड स्वामिने नमः जये विजये अपराजिते चक्रेश्वरी ममार्थ सिद्ध-सिद्ध कुरु कुरु स्वाहा ।
विधि - किसी भी धान के सात अच्छे दाने लेकर उस पर यह मंत्र सात बार पढ़ना तथा वह दाने वस्तु में वापस डाल दें तो उस वस्तु की वृद्धि होगी तथा उससे लाभ होगा।
( 19 ) व्यापार द्वारा धन लाभ दायक मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूर पूरय चिन्ता दूर दूरय स्वाहा ।
विधि - इस मंत्र की १०८ जाप करें तो धन लाभ होगा।
( 20 ) श्री लक्ष्मी देवी का मंत्र - ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः।
विधि - पूर्व की ओर मुंह करके पीले वस्त्र व पीले रंग की माला का प्रयोग करें, मार्गशीर्ष नक्षत्र व गुरुवार के दिन मंत्र का जाप शुरु करें। एक लाख जाप होने पर मंत्र सिद्ध हो जाएगा, लक्ष्मी प्रत्यक्ष दर्शन देगी।
( 21 ) लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं हर-हर स्वाहा ।
विधि - इस मंत्र को १०८ बार सफेद पुष्पों से ३ दिन तक जाप करने से सर्व सम्पत्तिवान होता है। जाप श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा के सामने करना चाहिए।
( 22 ) लक्ष्मी दायक मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः ॐ नमो भगवउ गोयमयस्य सिद्धस्य बुद्धस्य अक्खीणस्स भास्वरी ह्रीं नमः स्वाहा ।
विधि-यह मंत्र नित्य प्रातः काल शुद्धता पूर्वक दीप धूप सहित जपने से लक्ष्मी प्राप्त होती है।
( 23 ) लाभ अन्तराय कर्म नाशक मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं मम लाभ अन्तराय कर्म निवारणाय स्वाहा ।
विधि - जिनेन्द्र भगवान् के सामने धूप देते हुए प्रतिदिन एक माला जपें ।
( 24 ) लक्ष्मी प्राप्ति - अर्हं मंत्र - ॐ ह्रीं ह्रां अर्हं णमो अरहंताणं ह्रीं नमः ।
विधि - शुभ मुहूर्त में पीले वस्त्र धारण कर पीली माला से जाप शुरु करें ।
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