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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
विधि - कुठ और हल्दी से अपने पैरों को पोतकर इस मंत्र को जपता हुआ सो जावे । के अन्त के पहर में मंत्री (साधक) शुभ और अशुभ को देखता हैं। (४.) चतुर्थ मंत्र - ॐ ह्रीं अर्हं जिणाणं लोगुत्तमाणं लोग नाहाणं लोगाहियाणं लोग पवाणं लोग पज्जोय गराणं मम शुभाशुभं दर्शय दर्शय ॐ ह्रीं कर्ण पिशाचिनी मुण्डे
स्वाहा ।
विधि - सोते समय रात में इस मंत्र को १०८ बार जपकर धूप खेकर सोने से रात में भविष्य दर्शक स्वप्न दिखाई देता है ।
(५.) पंचम मंत्र - ॐ ह्रीं कर्ण पिशाची में कर्णे कथय कथय हूं फट् स्वाहा । विधि - रात्री को दीपक का तेल पैरों में मलकर एक लाख मंत्र जपने से मंत्र सिद्ध होता है। (६.) षष्ठम मंत्र - ॐ ह्रीं अर्हं णमो जिणाणं, लोगुत्तमाणं, लोगनाहाणं, लोगहियाणं, लोग पईवाणं लोग पज्जोय गराणं मम शुभाशुभं दर्शय-दर्शय कर्ण पिशाचिनी नमः स्वाहा ।
विधि- प्रतिदिन स्नानादि से निवृत्त होकर शुद्ध वस्त्र पहनकर पूर्व की ओर मुखकर रुद्राक्ष की माला से दशों दिशाओं में १ - १ माला फेरें, एकासन करें, ब्रह्मचर्य से रहें तो मंत्र सिद्ध होय ।
( 32 ) स्वप्न में शुभा शुभ कहे मंत्र
(1) स्वप्न में शुभाशुभ का ज्ञान होय- ॐ ह्रीं अर्हं नमो जिणाणं लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगहियाणं लोगपईवाणं लोगपज्जो अगराणं मम शुभाशुभं दर्शय दर्शय ॐ ह्रीं कर्णपिशाचिनी मुण्डे स्वाहा ।
विधि - सोने से पूर्व १०८ बार पढ़कर सोने में स्वप्न में संभावित शुभाशुभ का ज्ञान होय । (2) ॐ नमो भगवती चक्रधारिणि भ्रामय भ्रामय मम शुभाशुभं दर्शय दर्शय स्वाहा । विधि - स्वप्न में पूछे गये शुभाशुभ प्रश्न का फल ज्ञात होय ।
(3) स्वप्न में चिंतित कार्य कहे- ॐ किरि किरि स्वाहा।
विधि - अद्धरात्रि में नग्न होकर इस मंत्र का जाप करने से स्वप्न में चिन्तित कार्य कहता है । (4) कान में सब बात कहे मंत्र - ॐ धेंठ स्वाहा ।
विधि - लाल फूल से एक लक्ष मंत्र का जाप करें, तब सिद्ध होता है । जो पूछो भूत, भविष्य, वर्तमान की सब बात कान में कह देवे ।
(5) जो पूछो सो कहे मंत्र - ॐ ऐं श्रीं ह्रीं क्लीं सिकोतरी मम चिंतितं कथय कथय
सत्यं ब्रूहि ब्रूहि स्वाहा ।
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