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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
विशेष विधि- जिस ग्रह की पीड़ा हो उस ग्रह से संबंधित मंत्र की दस हजार जाप करें,
दीपक जलाकर एवं तद्प माला, वस्त्र, आसन के साथ। 1.नोट- नवग्रह शान्ति के लिए- यदि सिर में रोग हो तो विधि अनुसार सूर्य
पूजा, मुंह में रोग हो तो चन्द, हदय में हो तो मंगल, कमर में हो तो बुध, दोनों पार्श्व मे कष्ट हो तो गुरू, पीठ में रोग हो तो शुक्र जंघा में हो तो शनि तथा दोनों पैरो में रोग हो तो राहू की पूजा
जाप करनी चाहिए। 2.नोट- जैन दर्शन (सिद्धांत) अनुसार आकाश में ग्रहों की संख्या ८८ है, लेकिन लोक
व्यवहार की दृष्टि से मुख्यता से नवग्रहों को विशेष मान्यता दी गयी है और हाँ, मन्त्र जाप से ग्रह शांत-अशांत नहीं होते, अपितु अपने मन की शान्ति के लिए जाप करते हैं। मंत्र जाप करने से मन में एक विशेष प्रकार की शान्ति होती है, अशुभ कर्मों की असंख्यात गुणी निर्जरा होती है और शुभ कर्मों का बंध होता है
जिससे समस्त प्रतिकूलताएं अनुकूलता में बदल जाती हैं। 3.नोट- नवग्रह शान्ति हेतु बीज (मूल) मंत्र देखें पेज नं. (384) पर।
___ (25) सर्व ग्रह शान्ति मंत्र(1) ॐ ह्रां ह्रीं हूँ ह्रौं ह्र: अ सि आ उ सा सर्व शान्तिं कुरु-कुरु स्वाहा। (2) ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमः सर्व ज्योतिषकेंद्रार्चित परमपुरुषाय सर्वग्रहारिष्टं नाशय नाशय
शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा। नवग्रह अरिष्ट निवारक मंत्र : ऊँ ह्रां णमो अरहंताणं, ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं, ऊँ हूँ णमो आइरियाणं, ऊँ हौं णमो उवज्झायाणं, ऊँ ह्रः णमो लोए सव्व साहूणं
सर्वारिष्ट निवारणाय कुरू कुरू स्वाहा विधि- शुभ वार से शुरुकर इस मंत्र की दस हजार जाप करें फिर १ माला प्रतिदिन जपें तो
सर्वग्रह के कुप्रभाव से शान्ति मिले। (4) प्रति कूल ग्रह अनुकूल होने का मंत्र- ॐ ह्रीं सर्वे ग्रहाः सोम सूर्यांगारक बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनिश्चर, राहू, केतु सहित सानुग्रहा मे भवन्तु। ॐ ह्रीं अ सि आ उ सा स्वाहा। फल- इस मंत्र के स्मरण मात्र से प्रतिकूल ग्रह भी अनूकूल होते हैं। विधि- इस मंत्र का सवा लाख जाप कर मंत्र को सिद्ध करा लें, फिर मंत्र की प्रतिदिन १०८ बार जाप करें।
(26) पद्मावती सिद्धि मंत्र
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