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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर (6) सुन्दर भाषण देने का मंत्र- ओं ह्रीं श्रीं कीर्ति कौमुदी वागेश्वरी प्रसन्न वर दे कीर्ति मुख मन्दिरे स्वाहा। विधि- प्रतिदिन एक माला फेरे व्याख्यान में जाने से पहले एक बार पढ़ लें, फिर व्याख्यान दे, अत्यन्त सफलता होगी। (7) सभा में सम्मान बढ़े मंत्र- ॐ नमो भगवती गुणवती सुसीमा पृथ्वी वज्र श्रृंखला मानसी महामानसी स्वाहा।। विधि- २१ बार मंत्रित तेल मुख पर लगाने से सभा में सम्मान बढ़ता है। (8) कथित वचन श्रेष्ठ हो- ॐ ह्रीं श्रां श्रीं छू पद्मे (नमः)। विधि- राज्य सभा में साधक की सम्मति तथा कथित वचन श्रेष्ठ माने जाते हैं। (9) सभी अनुयायी बने- ॐ ह्रीं पसुस्स नमः स्वाहा। विधि- कंकरी को मंत्रित करके नगर के मध्य चौराहे पर डालने से सब लोग अनुयायी हो जाते हैं। (15) मंगलकलश के सामने जपने का मंत्र (१)- ॐ ह्रीं श्री श्रियै नमः। विधि-प्रतिदिन एक माला जपे तो सुखसमृद्धि होय। (16) अभिषेक मंत्रित करने का मंत्र (1) अभिषेक मन्त्रित करने का मंत्र :-ॐ ह्रां ह्रीं हूँ ह्रौं ह्रः अ सि आ उ सा श्री जिन प्रतिमा (श्री...यंत्र) स्नापयन् जिन (श्री....यंत्र) गंदोधकं। वंदामि नमस्यामि इष्ट लाभं कर्माष्टकं विनाशनं भवतु ऋद्धि-सिद्धि प्रदायकं भवतु ह्रीं नमः॥ (17) प्रतिष्ठा के समय का मंत्र (1) ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं अहँ अ सि आ उ सा अनाहत् विद्यायै णमो अरिहंताणं ह्रौं सर्व शान्ति कुरु कुरु स्वाहा। विधि-यह मंत्र वेदी प्रतिष्ठा, मूर्तिप्रतिष्ठा, कलशारोहण आदि के समय सर्व विघ्न शान्ति के लिए सवा लाख अथवा कम से कम इक्यावन हजार, इक्कीस हजार संकल्प पूर्वक जाप करें, तो निश्चित ही सानंद कार्य संपन्न होय। (2) निर्विघ्न कार्य सम्पन्नता मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहँ अ सि आ उ सा,अनाहत विद्यायै णमो अरहंताणं पाप क्लेशापहर, निर्विघ्न कार्य समाप्तिं करणाय वषट् । विधि- इस मंत्र की १०८ बार जाप करना चाहिए। (3) ॐ ह्रीं सकल कार्य सिद्धिकराय श्री वर्धमानाय नमः। - 109
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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