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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
8. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ आत्मप्रवाद पूर्व मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 9. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ प्रत्याख्यान पूर्व मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 10. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ विद्यानुवाद पूर्व मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 11. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ कल्याणवाद पूर्व मूलगुण संस्कार: स्फुरतु स्वाहा। 12. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ प्राणावाय पूर्व मूलगुण संस्कार: स्फुरतु स्वाहा। 13. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ क्रियाविशाल पूर्व मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 14. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ लोकन्दुपुसार पूर्व मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 15. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ आचारांग मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 16 ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ सूत्रकृतांग मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 17. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ स्थानांग मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 18. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ समवायांग मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 19. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ व्याख्याप्रज्ञप्ति अंग मूलगुण संस्कार: स्फुरतु स्वाहा। 20. ॐ ह्रौं इह उपाध्यायौ ज्ञातधर्म कथांग मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 21. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ उपासकाध्ययनांग मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 22. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ अन्तकृतदशांग मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 23. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ अनुत्तरोपपादिकदशांग मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 24. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ प्रश्नव्याकरणांग मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 25. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ विपाकृसूत्र कश्तांग मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। (6) निम्न मंत्र पढकर ........... चन्दन से सिर पर न्यास करें।
1. ऊँ ह्रौं णमो उवज्झायाणं उपाध्याय परमेष्ठिने नमः । (7) शान्ति भक्ति और समाधि भक्ति पढ़ें। (8) ॐ ह्रौं उवज्झायाणं, उपाध्याय परमेष्ठिन् अत्र एहि एहि संवौषट् आह्वाननं,
स्थापनं, सन्निधिकरणं ! (9) अब वह उपाध्याय परमेष्ठी गुरुभक्ति कर गुरु को नमस्कार कर सभी को आर्शीवाद दें।
(138. आचार्य पद प्रतिष्ठा विधि ) (1) शुभमुहूत में किसी योग्य श्रावक से यथा शक्ति यागमडल विधान या शान्ति
मंडल विधान करायें। (2) किसी सौभाग्यवती स्त्री से चावलों का स्वस्तिक बनवाकर उस पर पाटा
स्थापित करें फिर आचार्य पद योग्य मुनि पुर्व की ओर मुख करके बैठे। (3) आचार्य पद प्रतिष्ठापन क्रियायां पूर्वाचार्यानुक्रमेण सकल कर्म क्षयार्थं भाव पूजा वन्दना स्तव समेतं, सिद्ध भक्ति कायोत्सगं करोम्यहम् ।(सिद्ध भक्ति पढें )
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