________________
मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
(2) दीक्षा गुरु दीक्षार्थी को निम्न गाथा का अर्थ (ग्यारह प्रतिमा) समझाकर गाथा को 3 बार बोलकर, निम्न मंत्र पढ़कर सिर पर लौंग रखते हुए संस्कार प्रदान करें
दसण वय सामाइय, पोषह सचित रइभत्ते य।
बंभारंभ परिग्गह, अणुमण मुदिट्ठ देस विरदेय ।। 1. ऊँ ह्रीं इह क्षुल्लकौ दर्शन प्रतिमा संस्कार स्फुरतु स्वाहा। 2. ऊँ ह्रीं इह क्षुल्लको व्रत प्रतिमा संस्कार स्फुरतु स्वाहा। ___ ऊँ ह्रीं इह क्षुल्लकौ सामायिक प्रतिमा संस्कार स्फुरतु स्वाहा।
ऊँ ह्रीं इह क्षुल्लकौ प्रोषधोपवास प्रतिमा संस्कार स्फुरतु स्वाहा। 5. ॐ हृीं इह क्षुल्लको सचित्त त्याग प्रतिमा संस्कार स्फुरतु स्वाहा। 6. ऊँ ह्रीं इह क्षुल्लको रात्रि भोजन त्याग प्रतिमा संस्कार स्फुरतु स्वाहा। 7. ॐ हृीं इह क्षुल्लकौ ब्रह्मचर्य प्रतिमा संस्कार स्फुरतु स्वाहा। 8. ऊँ ह्रीं इह क्षुल्लकौ आरम्भ त्याग प्रतिमा संस्कार स्फुरतु स्वाहा। 9. ऊँ ह्रीं इह क्षुल्लकौ परिग्रह त्याग प्रतिमा संस्कार स्फुरतु स्वाहा। 10. ऊँ ह्रीं इह क्षुल्लको अनुमति त्याग प्रतिमा संस्कार स्फुरतु स्वाहा। 11. ऊँ ह्रीं इह क्षुल्लकौ उद्दिष्ट त्याग प्रतिमा संस्कार स्फुरतु स्वाहा।
(137. उपाध्याय पद स्थापन विधि ) (1) श्रावको से शुभमुहूंत में गणधर वलय या शान्ति विधान सरस्वती (श्रुत) पूजा ___कराएँ ! (2) सौभाग्यवती स्त्री से चावलों का स्वस्ति बनवाकर उसके ऊपर पाटा स्थापित
करें। उस पाटे पर उपाध्याय पद योग्य मुनि पूर्व की ओर मुख करके बैठे। (3) अथ उपाध्याय पद स्थापन-क्रियायां पुर्वाचार्यानुक्रमेण, सकल कर्म क्षयार्थ भाव
पुजा वंदना स्तव समेतं सिद्ध भक्ति कायोत्सर्ग करोम्यहम् ।(सिद्ध भक्ति पढें ) (4) अथ उपाध्याय पद स्थापन-क्रियायां पुर्वाचार्यानुक्रमेण सकल कर्म क्षयार्थं भाव
पुजा वंदना स्तव समेतं श्रुत भक्ति कायोत्सर्ग करोम्यहम्। (श्रुत भक्ति पढें ) (5) निम्न मंत्र पढ़कर सिर पर लौंग पुष्प, अक्षत आदि का क्षेपण करें। 1. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ उत्पाद पूर्व मूलगुण संस्कार: स्फुरतु स्वाहा। 2. ॐ ह्रौं इह उपाध्यायौ अग्रायणी पूर्व मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा।
ॐ ह्रौं इह उपाध्यायौ वीर्यानुवाद पूर्व मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 4. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ अस्तिनास्ति प्रवाद पूर्व मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा।
ॐ ह्रौं इह उपाध्यायौ ज्ञानप्रवाद पूर्व मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा।
ॐ ह्रौं इह उपाध्यायौ कर्मप्रवाद पूर्व मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 7. ऊँ ह्रौं इह उपाध्यायौ सत्यप्रवाद पूर्व मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा।
253