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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
मंत्र- ऊँ हां अर्हद्भ्यो नमः, ऊँ ही सिद्धभ्यो नमः, ऊँ हूं सूरिभ्यो नमः, ऊँ हौं पाठकेभ्यो नमः ॐ हः सर्व साधभ्यो नमः। (9) निम्न प्रकार सिद्ध भक्ति पढ़कर केश लुन्च का निष्ठापन करें। अथ लोचावसने दीक्षायां लोचनिष्ठापन क्रियायां पूर्वाचार्यानुक्रमेण सकल कर्म क्षयार्थ भाव पूजा वन्दना स्तव समेतं सिद्ध भक्ति कुर्वेऽहं । (10) पवित्र जल से सिर पर प्रक्षाल करके गुरूजी भक्ति पढ़ें। (11) दीक्षार्थी को खड़े कराकर वस्त्र आभूषण यज्ञोपवीत आदि का त्याग करायें फिर दीक्षा विधि करें। (12) दीक्षार्थी को उसी आसन पर बैठाकर, उसके सिर पर निम्न मंत्र पढ़कर "श्री" लिखेंमंत्र- ऊँ ही अर्ह अ सि आ उ सा हीं स्वाहा। (108 बार जपे) (13) गुरू जी दीक्षार्थी की अंजली में केशर कपूर श्रीखण्ड से "श्री" लिखें(14) निम्न श्लोक पढ़कर पूरब में 3, दक्षिण में 24, पश्चिम में 5, उत्तर में 2 लिखें। रत्नत्रयं च वंदे, चउवीस, जिणे च सव्वदा वंदे। पंच गुरूणां वदे, चारणचरणं सदा वदें।। (15) निम्न मंत्र पढ़ कर दीक्षार्थी की अंजली के ऊपर श्रीफल (नारियल) सुपाड़ी (पूगीफल), चावल (तंदुल) रखें। मंत्र- सम्यक् दर्शनाय नमः, सम्यक् ज्ञानाय नमः, सम्यक चारित्राय नमः | (16) अब सिद्धभक्ति, चारित्रभक्ति और योगभक्ति पढ़कर व्रतादि दें। (17) निम्नलिखित श्लोक को पढ़कर दीक्षार्थी को अर्थ (28 मूलगुण) समझाकर 28 मूल गुणों के मंत्र पढ़कर सिर पर लोंग क्षेपण कर संस्कार प्रदान करें। गाथा- वदसमिदिदियरोधो, लोचावासय मचेलमण्हाणं। खिदिसयणमदंतवणं, ठिदिभोयणमेयभत्तं च।। 5 महाव्रत- अहिंसा, सत्य, अचौर्य, (अस्तेय), ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह । 5 समिति- ईर्या, भाषा, एषणा, आदाननिक्षेपण, प्रतिष्ठापना। 5 इन्द्रिय निरोध- स्पर्शन,रसना,घाण,चक्षु और कर्ण (श्रोत)। 6 आवश्यक- सामायिक, वन्दना, स्तवन (चतुर्विंशति स्तुति), प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान,व्यतुसर्ग।
7 शेष गुण– केशलोच, अचेलक्य (नग्नता), अस्नान व्रत, भूमि शयन, अदन्त धावन, स्थित भोजन, एक भुक्त।
1. ॐ हीं इह मुनौ अहिंसा महाव्रत संस्कार: स्फुरतु स्वाहा। 2. ॐ हीं इह मुनौ सत्य महाव्रत संस्कारः स्फुरतु स्वाहा।
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