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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
पुस्तक, डायरी। (यदि आर्यिका, क्षुल्लक, क्षुल्लिका दीक्षा हो तो उनके वस्त्रादि 2 जोड़ी | ) 3 चटाई। मुनि दीक्षा के एक दिन पूर्व खड़े होकर आहार ग्रहण करने की विधि सिखाएं। फिर आहार से आकर चारों प्रकार के भोजन का त्याग कर अगले दिन का उपवास ग्रहण करे।
दीक्षा के पूर्व दिन अथवा दीक्षा के दिन दीक्षार्थी गणधर वलय विधान अथवा शान्तिविधान करके यथा शक्ति दान आदि दे। तथा सभी से क्षमायाचना करे। फिर गुरूजी के सामने जाकर सभी संघ की उपस्थिति में गुरू से दीक्षा प्रदान करने की प्रार्थना करे। मुनि दीक्षा विधि (1) गुरूजी सौभाग्यवती स्त्री से स्वस्तिक बनवाकर उस पर सफेद
वस्त्र बिछवायें फिर आसन पर पूर्व की ओर मुख करके सुखासन से या पदमासन से शिष्य को बैठने की आज्ञा दें। फिर गुरू जी उत्तराभिमुख होकर संघ से पूछकर
दीक्षार्थी के केशों का लुन्चन करें। (2) अथ दीक्षा ग्रहण क्रियायां सिद्ध भक्ति कायोत्सर्गं करोमि (सिद्ध भक्ति पढ़ें ) (3) अथ दीक्षा ग्रहण क्रियायां योग भक्ति कायोत्सर्गं करोमि (योग भक्ति पढ़ें ) (4) केशलुन्च के बाद गुरू अपने बाँए हाथ से शिष्य के सिर पर 3 बार मंत्र पढ़कर
गंधोदक छिड़के और फिर अपने बाँयें हाथ से तीन बार सिर का स्पर्श करें। मंत्र - ऊँ णमो अर्हते भगवते प्रक्षीणाशेष दोष कल्मषाय दिव्यतेजो मूर्तये श्री शान्तिनाथाय शान्तिकराय सर्व विघ्न प्रणाशनाय, सर्व रोगापमृत्यु विनाशनाय, सर्व परकृत क्षुद्रोपद्रव विनाशनाय सर्व क्षामडामर विनाशनाय ऊँ हां ही हूँ हौं हः अ सि आ उ सा अमुकस्य (दीक्षार्थी का नाम) सर्व शान्ति कुरू कुरू स्वाहा। (5) दीक्षार्थी के मस्तक पर निम्न मंत्र पढ़कर दूध की धारा दें। मंत्र- ऊँ णमो भयवदो वड्डमाणस्य, रिसहस्स चक्कं जलं तं गच्छइ आयासं पायालं लोयाणं भूयाणं जये वा विवादे वा रणागणे वा थंभणे वा मोहणे वा सव्वजीवसत्ताणं अपराजिदे भवदु में रक्ख रक्ख स्वाहा। (6)पहले सिर को सफेद वस्त्र से पोंछकर निम्न मंत्र पढ़कर कपूर मिश्रित राख सिर के बालों पर लगाए। मंत्र- ऊँ णमो अरहताणं रत्नत्रय पवित्री कृत्तोत्त मांगाय ज्योतिर्मयाय मति श्रुतावधि मनः पर्यय केवल ज्ञान अ सि आ उ सा स्वाहा। (7) निम्न मंत्र पढ़कर प्रथम पंच मुष्ठि से केश लुन्च करेंमंत्र- ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्ह अ सि आ उ सा स्वाहा। (8) निम्न मंत्र पढ़कर गुरू अपने हाथ से पाँच बार केशों को उखाडें ।
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